परिजात के फ़ायदे और नुक़सान

परिजात का वास्तविक नाम दरअसल पारिजात है लेकिन आम भाषा में इसे परिजात-परिजात भी बोला जाता है। परिजात को हरसिंगार, जैसमीन और गुलज़ाफरी के नाम से भी जाना जाता है। परिजात का पेड़ काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है और इसका हिन्दू धर्म में एक अलग ही स्थान है।परिजात के पेड़ पर लगने वाले फूल काफ़ी सुन्दर होते हैं। इन फूलों को पूजा में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।

परिजात के फूल में सुगंधित मन को मोह लेने वाली ख़ुशबू होती है।परिजात एक ऐसा वृक्ष है जिसकी छाल, फूल, तना, पत्तियां आदि अनेक बीमारियों को दूर करने के लिए उपयोग की जाती हैं। घरेलू औषधियों में परिजात काफ़ी ज़्यादा प्रसिद्ध है। परिजात के अनेक लाभ हैं और उसके साथ साथ कई स्थितियों में इसके कुछ नुक़सान भी हैं। आज इस लेख में हम इन दोनों बातों पर सम्पूर्ण चर्चा करेंगे। तो आइए सबसे पहले नज़र डालते हैं इसके फायदों पर

परिजात के फ़ायदे

1. खाँसी की समस्या से राहत

पारिजात में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो हमारे शरीर की कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। पारिजात में एक्सपेक्टोरेक्ट होता है जो खाँसी की समस्या में लाभदायक होता है। एक्सपेक्टोरेक्ट हमारे गले से बलगम निकालने में मदद करता है और खाँसी से निजात दिलाता है। परिजात की 500 मिलीग्राम छाल का पाउडर बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा परिजात के पत्तों का जूस निकालकर शहद के साथ सेवन करने से भी राहत मिलती है।

2. डायबिटीज़ या मधुमेह की समस्या में आराम

डायबिटीज़ की समस्या से छुटकारा पाने के लिए हम अपने आहार का ख़याल रखते हैं। इसके साथ साथ यदि हम कुछ घरेलू औषधियाँ इस्तेमाल करें तो हम इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।चूँकि  परिजात लिनोलेनिक एसिड पाया जाता है इसलिए परिजात का उपयोग हम डायबिटीज़ की समस्या में कर सकते हैं। पारिजात की छाल में एंटी डायबिटिक गुण होते हैं जिनका यदि हम सेवन करें तो काफ़ी हद तक राहत महसूस कर सकते हैं।

3. अस्थमा की समस्या से छुटकारा

पहले तो अस्थमा की समस्या सिर्फ़ बड़े लोगों या बुज़ुर्गों में पाई जाती थी लेकिन आजकल यह समस्या बच्चों में भी देखने को मिल जाती है।प्रदुषण या धुआँ अस्थमा के कारण होते हैं किन्तु कभी कभी अस्थमा जेनेटिक भी होता है। अस्थमा की समस्या होने पर नाक की नली में सूजन आ जाती है और मांसपेशियां टाइट हो जाती है। एक अध्ययन के अनुसार इस बात का पता चला है कि पारिजात के पत्तों में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये ना सिर्फ़ अस्थमा की समस्या में राहत देते हैं बल्कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ावा देते हैं।

4. पाचन को सुदृढ़ बनाने में सहायक

आजकल हमारा खानपान और लाइफ़स्टाइल इतना अजीब हो चुका है कि ऐसे में हमें पाचन से सम्बंधित समस्या देखने को मिलती ही रहती हैं। हम दिन पर दिन अपने पाचन क्रिया के सही से काम न करने के कारण परेशान रहते हैं। ऐसे में यदि हमें कुछ ऐसे घरेलू उपाय मिल जाएँ जो पाचन क्रिया को सही करते हैं तो ये हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। आयुर्वेद के अनुसार पारिजात पाचन क्रिया को सुदृढ़ बनाने में मददगार होता है। दरअसल पारिजात में एंटी-स्पेसमोंटिक गुण पाए जाते हैं जो पाचन तंत्र को सही से कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं।

5. तनाव की समस्या में देता है साथ

आजकल तनाव और डिप्रेशन की समस्या होना एकदम लाइफ़ रुटीन बन गया है। हर इंसान किसी न किसी बात से तनाव में रहता ही है। तनाव से निकलने के लिए हम योगा या एक्सरसाइज जैसी कई तकनीकों का सहारा लेते हैं। क्या आपको पता है कि तनाव से बचने के लिए पारिजात का प्रयोग किया जा सकता है? जी हाँ, परिजात में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो तनाव को कम करने में सहायक होते हैं। पारिजात के पत्तों की चाय बनाकर पीने से हम तनाव का स्तर कम कर सकते हैं।

6. गैस की समस्या में आराम

गैस की समस्या भी पाचन के गड़बड़ होने के कारण होती है। गैस की समस्या होने पर हम पारिजात का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इसमें एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो गैस की समस्या को ख़त्म करने में सहायक होते हैं। यदि आप गैस की समस्या से परेशान हैं तो ऐसे में आपको डॉक्टरी परामर्श लेकर पारिजात का सेवन करना चाहिए।

7. दाद खाज खुजली होने पर करें उपयोग

दाद-खाज, खुजली दरअसल त्वचा से संबंधित समस्याएं हैं। यह समस्या फंगल इन्फेक्शन से उत्पन्न होती है और एक दूसरे को भी लग सकती है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब भी हमें त्वचा से संबंधित कोई भी समस्या होती है तो ऐसे में हम बाज़ार की ओर दौड़ते हैं और केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स लेकर आते हैं। हम इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए इनके प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं जो वास्तव में काफ़ी नुक़सानदेह भी होते हैं। यदि आपको दाद-खाज, खुजली की समस्या हो रही है तो ऐसे में आप घर पर रह कर ही इसका इलाज कर सकते हैं। पारिजात में एंटी फंगल और एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। परिजात के फूल, पत्तियों व बीज का इस्तेमाल करके हम त्वचा से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

8. पाइल्स की समस्या में राहत

हम ज़्यादातर बाहर का खाना पसंद करते हैं और नये नये पकवान ट्राई करने में लगे रहते हैं परंतु इन सब के सेवन के बाद हमें क़ब्ज़ की समस्या हो जाती है। क़ब्ज़ की समस्या यदि ज़्यादा दिन तक रहे और ठीक न हो तो ये पाइल्स को जन्म दे देती है।  इस समस्या से बचने के लिए हम पारिजात का उपयोग कर सकते हैं। पारिजात में लेक्सेटिव व एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं जो मल निकासी में मददगार साबित होते हैं। ये सूजन को भी कम करने में सहायक होते हैं जिससे की क़ब्ज़ की समस्या दूर हो जाती है। पाइल्स से बचाव के लिए पारिजात के फूल व बीज का उपयोग भी किया जा सकता है।

9. गठिया या आर्थराइटिस का निदान

ज़्यादातर बढ़ती उम्र के लोगों में यह रोग पाया जाता है। इस रोग को बढ़ने से रोकने में पारिजात एक वरदान साबित हो सकता है। पारिजात में एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं जो गठिया के लिए फ़ायदेमंद होते हैं। पारिजात के रस का सेवन करने से गठिया को कम करने में सहायता मिलती है। पारिजात के एंटी अर्थराइटिस गुण गठिया जैसी समस्या का निदान करने में सहायक होते हैं।

10. एंटी बैक्टीरियल गुण से भरपूर

पारिजात के फूल, पत्तियों, छाल, जड़ों आदि का उपयोग आयुर्वेद में किया जाता रहा है। पुराने ज़माने से ही इन चीज़ों का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों को बनाने में होता रहा है। पारिजात में एंटीबैक्टीरियल ग्राम निगेटिव और ग्राम पॉज़िटिव दोनों तरह के गुण पाए जाते हैं। ये ख़ासी, जुकाम, बुखार और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमज़ोर होने की स्थिति में हमारी मदद करते हैं।

11. घाव भरने में सहायक

जब भी हमें चोट लग जाती है या त्वचा पर कहीं कट फट जाता है तो ऐसे में हमारी त्वचा पर घाव हो जाता है। इस घाव से खून भी बहता है जो यदि ज़्यादा मात्रा में बह जाए तो शरीर के लिए घातक हो सकता है। पारिजात में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो हमारे घावों को जल्दी भरने में मदद कर सकते हैं। यदि आपके शरीर पर कहीं भी घाव हो गया हो तो ऐसे में पारिजात के पत्तों को पीस कर पेस्ट बना लें और उसे घाव पर लगाएँ। यह एक अच्छी घरेलू औषधि हो सकती है।

12. मलेरिया में भी है फ़ायदेमंद

मलेरिया बीमारी मच्छरों के काटने से होती है।अक्सर इस बीमारी से जान जाने का ख़तरा भी होता है परंतु पारिजात से इसका इलाज संभव है। परिजात में पैरासाइट संक्रमण ख़त्म करने की ताक़त होती है। पारिजात का इस्तेमाल काफ़ी पुराने समय से बुखार जैसी अन्य समस्याओं या बीमारियों से लड़ने में भी किया जाता रहा है।परिजात के दो चार फूलों का प्रतिदिन सेवन करने से मलेरिया जैसी घातक बीमारी पास आने से भी कतराती है तथा अन्य बीमारियों को दूर रहने में भी मदद करती है।

13. डेंगू और चिकनगुनिया का भी इलाज

डेंगू और चिकनगुनिया यह दोनों बीमारियां जानलेवा होती हैं। इन दोनों बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती कराया जाता है क्योंकि इन बीमारियों में जान जाने का ख़तरा ज़्यादा होता है।

पारिजात का सेवन करके इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। पारिजात में एंटी वायरल और एंटी इंफ्लामेटरी तथा एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। यह डेंगू व चिकनगुनिया के संक्रमण को कम कर सकता है। पारिजात जोड़ों के दर्द को भी कम करने में फ़ायदेमंद हो सकता है। डेंगू की समस्या में हमारे शरीर में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं लेकिन पारिजात में वो गुण मौजूद होते हैं जो प्लेटलेट्स काउंट को बढ़ाने में मददगार होते हैं।

15. ब्लड डिटॉक्सीनेशन का करता है काम

पारिजात का उपयोग ब्लड डिटॉक्सीनेशन के लिए भी किया जाता है। पारिजात में प्रोटेक्टिव एक्टिविटी होती है। यह लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करती है जिससे कि हमारे रक्त को शुद्ध होने में काफ़ी सहायता मिलती है। हमारे शरीर में हृदय के अलावा लीवर भी रक्त को शुद्ध करने में सहायक होता है। इसलिए लीवर का मज़बूत या स्वस्थ होना ज़रूरी है। पारिजात में मौजूद लाभकारी गुण लीवर के लिए अच्छे होते हैं।

पारिजात अनेकों फायदों से भरा हुआ है लेकिन इसके साथ साथ कुछ स्थितियों में इसके नुक़सान भी होते हैं। आइए एक नज़र इसके नुक़सानों के ऊपर भी डालते हैं।

पारिजात के नुक़सान

1. पारिजात के पत्ते से लेकर छाल तक हमारे लिए फ़ायदेमंद है परंतु यह कितना फ़ायदेमंद है यह इसके इस्तेमाल की मात्रा पर निर्भर करता है। पारिजात का सेवन ख़ासी ठीक करने में सहायक होता है लेकिन इसका अधिक सेवन करने से ख़ासी तो ठीक हो जाती है लेकिन गला सूखने और बलगम सूखने की समस्या भी हो जाती है।

2. पारिजात का उपयोग औषधियों में किया जाता है परंतु गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पारिजात की तासीर ठंडी और गर्म दोनों तरह की होती है जो महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए नुक़सानदेह हो सकती है।

3. पारिजात का स्वाद कड़वा होता है इससे आपको उल्टी भी हो सकती है। पारिजात की पत्तियां खाने से जीभ पीली हो जाती है।

4. पारिजात का उपयोग उन लोगों के लिए सुरक्षित है जो विशेषज्ञों से परामर्श लेकर इसका सेवन करते हैं। यदि आपके शरीर में एलर्जी की समस्या है तो ऐसे में बेहतर है कि आप पारिजात का सेवन करने से पहले किसी डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

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