Hemoglobin Ki Kami: जब हमारे खून में लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है तो इसे हम एनीमिया के नाम से जानते हैं। हमारे खून में हीमोग्लोबिन होना बहुत जरूरी है। हिमोग्लोबिन की वजह से ही हमारे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई पूरे शरीर में होती है। अगर शरीर के अंदर हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है तो सभी अंगों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है जिसकी वजह से रोगी हमेशा खुद को थका हुआ महसूस करता है और रोगी का शरीर कमजोर हो जाता है।
हीमोग्लोबिन की कमी या एनीमिया होने की वजह से रोगी का शरीर धीरे-धीरे पीला पड़ने लगता है। एनीमिया की यह स्थिति टेंपरेरी या परमानेंट रूप से हो सकती है। अगर समय पर हम हीमोग्लोबिन की कमी को दूर नहीं करते हैं तो हमें कई गंभीर कॉम्प्लिकेशन देखने को मिल सकते हैं। कई बार अनदेखा करने पर रोगी की मृत्यु भी हो जाती है।
हीमोग्लोबिन की कमी या एनीमिया कई प्रकार का होता है। आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि हीमोग्लोबिन की कमी क्या होती है? इसके लक्षण क्या होते हैं? एनीमिया का इलाज किस प्रकार से किया जाता है? पूरी जानकारी के लिए आर्टिकल को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़े।
हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) क्या है? | Hemoglobin Ki Kami Kya Hai?
जब हमारे खून में लाल रक्त कोशिकाओं और हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है तो उस स्थिति को हम एनीमिया के नाम से जानते हैं। यह एनीमिया कई बार कम समय के लिए तो कई बार लंबे समय के लिए हो जाता है। एनीमिया के लक्षण दिखाई देने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जिस रोगी को एनीमिया हो गया है उसे बहुत ज्यादा ठंड और कमजोरी महसूस होने लगती है और थोड़ी दूर चलने पर ही थकान महसूस होने लगती है।
हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) के प्रकार | Hemoglobin Ki Kami Ke Parkar
आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया
इस प्रकार के एनीमिया में रोगी के खून में आयरन की कमी हो जाती है। सामान्य तौर पर महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान खून की कमी होने की वजह से या गर्भावस्था में पल रहे शिशु की वजह से भी एनीमिया की स्थिति या आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया देखा जाता है। किसी भी कारण की वजह से शरीर में अगर आयरन की कमी हो रही है तो यह एनीमिया हो जाता है।
एप्लास्टिक एनीमिया
इस प्रकार के एनीमिया में हमारी हड्डियों के अंदर जो लाल रक्त कोशिकाएं बनती है वह नहीं बन पाती है जिसकी वजह से रोगी को दिल की धड़कनें कमजोर होना, हृदय के आकार में वृद्धि होना, हार्ट फेल होना, किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन या ब्लीडिंग होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
हिमॉलिटिक एनीमिया
इस प्रकार के एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाएं अपने 120 दिन का जीवनकाल पूरा करने से पहले ही नष्ट होने लग जाती है जिसकी वजह से रोगी को बहुत ज्यादा थकान, दर्द, दिल की धड़कन कमजोर होना, हृदय के आकार में वृद्धि, दिल का दौरा पड़ना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
सिकल सेल एनीमिया
इस प्रकार के एनीमिया होने पर रोगी के शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं डिस्क के आकार में ना बनकर एक दराती या दांतली की आकृति की जैसे बनने लगती है। सामान्य तौर पर इस प्रकार का एनीमिया आनुवंशिक रूप से माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर हो जाता है जिसकी वजह से लाल रक्त कोशिकाएं ऑक्सीजन की सप्लाई सही प्रकार से नहीं कर पाती है।
परनीसीयस एनीमिया
इस प्रकार के एनीमिया के अंदर रोगी के शरीर में पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बनती है, साथ ही विटामिन B12 की भी कमी हो जाती है जिसे हम परनीसीयस एनीमिया के नाम से जानते हैं। ऐसे मरीज के शरीर में विशेष प्रकार के प्रोटीन की कमी हो जाती है जिससे वह भोजन में उपस्थित विटामिन B12 का अवशोषण नहीं कर पता है। यह विटामिन आरबीसी के निर्माण में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे हम विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया के नाम से भी जानते हैं।
थैलेसीमिया
यह एक खून से संबंधित रोग है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं और हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है और तेजी से नष्ट होते हैं। यह खून की सबसे गंभीर बीमारी मानी जाती है जिसमें रोगी को जीवित रखने के लिए थोड़े-थोड़ी समय में ही उसका कंप्लीट ब्लड रिप्लेसमेंट किया जाता है।
हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) के कारण | Anemia Ke Karan
एनीमिया होने के वैसे तो कई सारे कारण हो सकते हैं लेकिन इन्हें मुख्य रूप से तीन कैटेगरी में बांटा जाता है। आईए जानते हैं हीमोग्लोबिन की कमी या एनीमिया होने के प्रमुख कारण।
खून की कमी की वजह से हीमोग्लोबिन की कमी या एनीमिया होना
अगर किसी भी वजह से हमें चोट लग जाती है और शरीर में खून की कमी हो जाती है जिसकी वजह से शरीर में अचानक लाल रक्त कोशिकाओं और हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।
- अल्सर या बवासीर जैसी बीमारियों के कारण हैवी ब्लीडिंग होने से।
- NSAID या एस्प्रिन और आइबुप्रोफेन का इस्तेमाल लंबे समय तक करने से पेट में हुआ अल्सर।
- महिलाओं में मासिक धर्म की वजह से बहुत ज्यादा खून बह जाने की वजह से।
- महिलाओं में प्रसव के दौरान बहुत ज्यादा खून बह जाने की वजह से।
खराब लाल रक्त कोशिकाओं के प्रोडक्शन की वजह से
शरीर में कुछ परिस्थितियों ऐसी बन जाती हैं जिसमें हमारे शरीर में बनने वाली लाल रक्त कोशिकाएं सही आकार और सही गुणों के साथ नहीं बनती है जिससे हमें एनीमिया या हीमोग्लोबिन की कमी हो सकती है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।
- सिकल सेल एनीमिया
- आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया
- विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया
- हड्डियों या अस्थि मज्जा में कोई समस्या
बोन मैरो या स्टेम सेल से संबंधित प्रॉब्लम
बोन मैरो या स्टेम सेल की वजह से ही शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन होता है। इनमें अगर किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो जाती है तो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो सकती है या खराब कोशिकाएं बन सकती है। इसके निम्नलिखित कारण होते हैं।
- एप्लास्टिक एनीमिया
- थैलेसीमिया
- लेड पाइजनिंग
हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) के लक्षण | Anemia Ke Lakshan
- शरीर में खून की या हीमोग्लोबिन की कमी होने से आंखों में हल्का पीलापन और स्किन भी हल्की पीली नजर आने लगती है।
- पैरों के तलवे और हथेली हमेशा ठंडी बनी रहती हैं।
- सर में हमेशा दर्द होता रहता है।
- रोगी जैसे ही थोड़ा बहुत कोई काम करता है तुरंत थक जाता है।
- सीढ़ियां चढ़ना या उतारने में भी सांस फूलने लग जाती है।
- रोगी को आराम करने के बाद भी थकान महसूस होती रहती है।
- सांस लेने में ज्यादा जोर लगाना होता है।
- आंखों के सामने कभी भी अचानक अंधेरा छा जाता है।
- रोगी को चक्कर आने लगते हैं।
- एनीमिया की कमी की वजह से रोगी के बाल झड़ने लगते हैं।
- स्किन में रूखापन नजर आना।
- जीभ में छाले हो जाना।
- अगर रोगी को आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया है तो कान में घंटी बजना और नाखून खराब हो जाना जैसे लक्षण भी नजर आते हैं।
हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) से बचाव के उपाय | Anemia Se Bachav Ke Upay
- कुछ एनीमिया ऐसे होते हैं जिनको हम चाह कर भी बचाव नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह आनुवंशिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होते हैं। जैसे सिकल सेल एनीमिया से हम चाह कर भी अपनी तरफ से कुछ नहीं कर सकते।
- किसी भी एक्सीडेंट की वजह से या कोई अप्रत्याशित घटना की वजह से हमें चोट लगने पर जब बहुत ज्यादा खून बह जाता है तो हमारे शरीर में जो अचानक खून की कमी की वजह से एनीमिया होता है। उसमें डॉक्टर ही हमारी मदद कर सकते हैं हम इसमें अपनी तरफ से कोई बचाव नहीं कर सकते।
- अन्य प्रकार के एनीमिया से बचने के लिए आप बचाव के तरीके अपना सकते हैं।
- आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया से बचने के लिए आपको आयरन से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए।
- विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया से बचने के लिए अपने भोजन में विटामिन बी12 की मात्रा भरपूर रखनी चाहिए।
- जब शरीर में विटामिन भरपूर मात्रा में रहता है तो इसकी वजह से आयरन के अवशोषण में मदद मिलती है साथ ही लाल रक्त कोशिकाओं के बनने में भी कोई समस्या नहीं आती है।
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हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) का डायग्नोसिस | Anemia Ka Diagnosis
- शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर जब हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो सामान्य तौर पर डॉक्टर सबसे पहले कंप्लीट ब्लड टेस्ट (CBC) करता है जिसमें खून में पाई जाने वाली अलग-अलग चीजों के बारे में जानकारी मिलती है।
- खून की जांच करने पर ही डॉक्टर को पता चलता है कि हीमोटोक्रिट वैल्यू कितनी है और शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कितनी है। पुरुषों के शरीर में हेमेटोक्रिट वैल्यू सामान्य तौर पर 40 से 52% के बीच में होती है वहीं महिलाओं में यह 35 से 47% के बीच में होती है।
- बात करें हीमोग्लोबिन के सामान्य लेवल की तो पुरुषों के शरीर में यह है 14-18 gm/dl होता है वहीं महिलाओं में यह 12-15 gm/dl होता है।
- इसके अलावा डॉक्टर लाल रक्त कोशिकाओं के रंग आकार और आकृति का भी टेस्ट करता है जिससे पता चल सके कि किस प्रकार का एनीमिया आपको हुआ है।
- कई बार एनीमिया का पता लगाने के लिए आपकी हड्डियों की बोन मैरो का सैंपल लेकर भी टेस्ट किया जाता है जिससे एनीमिया के बारे में जानकारी मिलती है।
- इसके अलावा डॉक्टर आपका थायराइड टेस्ट किडनी और लिवर फंक्शन टेस्ट, बोन मैरो टेस्ट, यूरिन टेस्ट आदि कर सकता है।
हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) का इलाज | Anemia Ka ilaj
जब रोगी को हीमोग्लोबिन की कमी या एनीमिया के बारे में जानकारी होती है तो वह डॉक्टर से संपर्क करते हैं। डॉक्टर से संपर्क करने के बाद डॉक्टर जांच करके यह पता लगते हैं कि कौन सा एनीमिया हुआ है। जिस प्रकार का एनीमिया आपको हुआ है उसके आधार पर ही आपको अलग-अलग ट्रीटमेंट दिया जाता है। आईए जानते हैं अलग-अलग प्रकार के एनीमिया का अलग-अलग ट्रीटमेंट किस प्रकार से किया जाता है।
आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया का उपचार
इस प्रकार के एनीमिया में डॉक्टर आपको ऐसे आहार खाने के लिए कहता है जिसमें आयरन की प्रचुर मात्रा है, साथ ही आपको कुछ मेडिसिन भी प्रिसक्राइब करता है। अगर आपको किसी सर्जरी या मेंस्ट्रूअल साइकिल की वजह से आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया नहीं हुआ है तो सामान्य तौर पर आप आयरन युक्त भोजन करेंगे तो यह दूर हो जाता है।
विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया का ट्रीटमेंट
अगर आपके शरीर में विटामिन बी12 की कमी हो गई है या फिर फोलिक एसिड की कमी है तो आपको ऐसे भोजन का उपयोग करना है इसमें विटामिन बी12 और फोलिक एसिड की ज्यादा से ज्यादा मात्रा हो। जरूरत पड़ने पर आपको विटामिन बी12 के इंजेक्शन भी लेने पड़ सकते हैं।
किसी अन्य बीमारी की वजह से हुई हीमोग्लोबिन की कमी का इलाज
अगर आपको किसी अन्य बीमारी एनीमिया हुआ है तो ट्रीटमेंट के तौर पर आपको डॉक्टर द्वारा सिंथेटिक इरिथ्रोप्रोटीन के इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे आपकी लाल रक्त कोशिकाओं के प्रोडक्शन की रेट को बढ़ाया जाता है।
अप्लास्टिक एनीमिया का ट्रीटमेंट
इस प्रकार के एनीमिया के उपचार के लिए और शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का स्तर बढ़ने के लिए आपको कई बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाना पड़ता है। कई बार इस स्थिति में आपको बोन मैरो ट्रांसफ्यूजन भी करवाना पड़ता है।
हिमॉलिटिक एनीमिया का ट्रीटमेंट
इस प्रकार के एनीमिया में डॉक्टर सामान्य तौर पर आपको दवाइयां के माध्यम से ट्रीटमेंट देता है। साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम भी करता है।
सिकल सेल एनीमिया का उपचार
इस प्रकार के एनीमिया में रोगी को दर्द निवारक दवाइयां और ऑक्सीजन की सप्लाई दी जाती है। साथ ही फोलिक एसिड युक्त भोजन और एंटीबायोटिक दिया जाता है। जरूरत पड़ने पर रोगी का ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जाता है।
थैलेसीमिया का ट्रीटमेंट
इस प्रकार की बीमारी जब रोगी को हो जाती है तो सामान्य तौर पर समय-समय पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाना ही पड़ता है। कई बार बोन मैरो ट्रांसफ्यूजन भी करवाना पड़ता है इसके अलावा फोलिक एसिड से युक्त भोजन दिया जाता है।
हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) होने पर क्या खाना चाहिए | Hemoglobin Ki Kami Hone Par Kya Khana Chahiye
- हीमोग्लोबिन की कमी होने पर रोगी को ज्यादा आयरन वाला भोजन करना चाहिए।
- अनार बहुत ज्यादा खाना चाहिए इससे आपके शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है और मांसपेशियों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में भी मदद होती है।
- अंगूर, नींबू, संतरा जैसे खट्टे फल में एंटीऑक्सीडेंट की प्रचुर मात्रा होती है जो शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को सही करने का काम करती है।
- एनीमिया होने की स्थिति में रोगी को आराम करना चाहिए और कोई भी भारी काम करने से बचना चाहिए।
सारांश | Conclusion
खून की कमी या हीमोग्लोबिन की कमी किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। अगर समय पर आप इसका ट्रीटमेंट करवा लेते हैं तो इसे ठीक किया जा सकता है। अगर आज आपने इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ लिया है तो आपको हीमोग्लोबिन की कमी या एनीमिया के बारे में बहुत अच्छी जानकारी मिल गई होगी। अभी जानकारी को सिर्फ अपने तक सीमित न रखें सभी तक शेयर करना है। उम्मीद करते हैं कि दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी, इसी प्रकार की जानकारी के लिए नियमित रूप से हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहे।