Sankashti Chaturthi: संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है, महत्व, विधि और पूरी जानकारी देखें

Sankashti Chaturthi: हर माह में दो बार चतुर्थी मनाई जाती है। कृष्ण पक्ष को आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने का काफी ज्यादा महत्व है। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है, महत्व और मनाने की विधि क्या है। पूरी जानकारी विस्तार से देंगे।

Sankashti Chaturthi 2024 Mai Kab Hai : संकष्टी चतुर्थी 2024 में कब मनाई जाएगी?

व्रत रखने की तिथिव्रत रखने का दिन
29 जनवरी 2024सोमवार
28 फरवरी 2024बुधवार
28 मार्च 2024गुरुवार
27 अप्रैल 2024शनिवार
26 मई 2024रविवार
25 जून 2024मंगलवार
24 जुलाई 2024बुधवार
22 अगस्त 2024गुरुवार
21 सितंबर 2024शनिवार
20 अक्टूबर 2024रविवार
18 नवंबर 2024सोमवार
18 दिसंबर 2024बुधवार

Sankashti Chaturthi Kya Hai: संकष्टी चतुर्थी क्या है?

हिंदू धर्म में जब भी कोई शुभ काम किया जाता है,तो भगवान गणेश जी को सबसे पहले पूजा जाता है। उसके बाद ही काम शुरू किया जाता है। यह व्रत भगवान गणेश जी के लिए रखा जाता है। अपने जीवन के संकट को दूर करने के लिए ही हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा इस व्रत को रखा जाता है।

कहा जाता है की संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से सारे संकट मिट जाते हैं और आर्थिक लाभ भी होता है। माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए भी इस व्रत को रखती हैं। यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है। क्योंकि इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है।

Sankashti Chaturthi Kyo Manayi Jati Hai : संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

संकष्टी चतुर्थी मनाई जाने के पीछे यह मान जाता है कि भगवान श्री गणेश जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। जीवन में जितनी भी कष्ट और परेशानियां हैं, वह इस व्रत को करने से दूर हो जाती है।

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में नल नाम का एक राजा रहता था। उनकी पत्नी का नाम दमयंती था।वैसे तो राजा काफी अच्छा था। लेकिन उसे जुआ खेलने की गंदी लत थी।

राजा ने जुआ खेला और वह सब कुछ हार गया। इसके बाद वह अपनी पत्नी को लेकर वन में चला गया। श्राप के कारण नल राजा को अपनी पत्नी से बिछड़ना पड़ा। दमयंती काफी ज्यादा परेशान हो गई और वह जंगल में भटक रही थी।

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उसे एक दिन जंगल में शरभंग महर्षि के दर्शन हुए। शरभंग महर्षि से उन्होंने प्रार्थना की कि वह कुछ ऐसा उपाय बताएं, जिससे वह अपने पति से मिल सके। शरभंग महर्षि ने कहा कि आप भगवान गणेश जी की पूजा करो। बहुत जल्द आपकी मनोकामना पूरी हो जाएगी और आपका पति आपको वापस मिल जाएगा।

शरभंग महर्षि के कहे अनुसार दमयंती ने भगवान गणेश जी के लिए व्रत रखा और पूजा अर्चना करी। व्रत के प्रभाव से उन्हें अपना पति वापस मिल गया और नल को उसका साम्राज्य भी वापस मिल गया ।

Sankashti Chaturthi Ke Fayde: संकष्टी चतुर्थी का महत्व क्या है?

  • संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिल जाती है।
  • इस व्रत को करने से हर संकट से छुटकारा मिलता है।
  • घर में सुख शांति बनी रहती है।

Sankashti Chaturthi Vrat Vidhi: संकष्टी चतुर्थी की व्रत विधि क्या है?

  • संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करना होगा।
  • स्नान करने के बाद साफ सुथरे वस्त्र पहनना चाहिए।
    भगवान गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करके उनकी पूजा अर्चना करें।
  • ध्यान रहे पूरे दिन आपके मन में भगवान गणेश जी का ध्यान जरूर हो । आपको फल जल्दी मिलेगा।
  • शाम के समय भगवान गणेश जी की आरती करें और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलें।
  • वैसे तो आप भगवान गणेश जी को किसी भी भोजन का भोग लगा सकते हैं। अगर लड्डू का भोग लगाएंगे, तो भगवान गणेश जी काफी प्रसन्न होंगे।

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