लाँक डाँउन के इस दौर में महिलाएं ये 5 फिल्मे अवश्य देखें

लाँक डाँउन के इस दौर में आप घर पर बैठे – बैठे बोर न हो इसीलिए हम आपके लिए कुछ ख़ास फ़िल्मे लेकर आए हैं। ये फ़िल्में हर एक महिलाओं के लिए प्रेरणादाई साबित हो सकती हैं।

फ़िल्मों के नाम

  1. दामिनी
  2. निल बटे सन्नाटा
  3. पिंक
  4. थप्पड़
  5. तुम्हारी सुलु

ये फिल्में पूरी तरह से महिलाओं पर आधारित है, कि किस तरह महिलाएं दिक्कतों का सामना करते हुए अपने मुकाम को हांसिल करती है । इनमे से कुछ फ़िल्मे ऐसी हैं जो समाज में महिलओं के ख़िलाफ़ हो रहो अत्याचारों को उजागर करती हैं और दिखाती हैं कि किस तरह महिलाएं अपने और दूसरी महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए इस समाज से लड़कर जीतती हैं।

महिलाओं को इस लिए देखनी चाहिए ये फ़िल्मे

दामिनी

यह फिल्म 30 अप्रैल 1993 को रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म को राजकुमार संतोषी ने डायेरेक्टर किया था । इस फ़िल्म की मुख्य भूमिका में मिनाक्षी शोषाद्रि, सनी देवल, टीनू आनंद, ऋषि कपूर, अमरीश पूरी आदि सितारे थे ।

इस फ़िल्म में यह दिखाया गया है कि एक महिला दूसरे महिला को कैसे इंसाफ दिलाती है। फ़िल्म की कहानी एक बड़े परिवार की मगर आर्शिवादी बहू के इर्द – गिर्द घूमती है, जो दुष्कर्म की शिकार हुई घर की नौकरानी को इंसाफ दिलाने के लिए अपने परिवार से ही टकरा जाती है। आपको यह फ़िल्म जरूर देखनी चाहिए और सिर्फ अपने लिए ही नहीं किसी महिला का आपके सामने अगर बल्तकार हो रहा है तो आप उसके लिए क्या कर सकती हैं यह आपको सोचना चाहिए। यह फ़िल्म आपको सोचने पर मज़बूर कर देगी।

निल बटे सन्नाटा

यह फ़िल्म 22 अप्रैल 2016 को रिलीज़ हुई थी। अश्वनी अय्यर तिवारी ने इस फ़िल्म को डायरेक्ट किया है। इस फ़िल्म के मुख्य भूमिका में स्वरा भाष्कर, रिया शुक्ला, रत्ना पाठक शाह, और पंकज त्रिपाठी जी हैं।

मां और बेटी के रिश्ते पर आधारित निल बटे सन्नाटा एक मां की ऐसी कहानी है जो अपने बेटी को पढ़ाने के लिए दूसरों के घरों में काम करती है। यह फ़िल्म बताती है कि सपने कभी मरते नहीं, और यह सिखाती है कि सपनों को हकीकत में कैसे बदला जाता है । आपके सपने कभी मरते नहीं बशर्ते आप उसे पूरा करने के लिए संर्घष करते रहें। अगर आपने इस फ़िल्म को नहीं देखा है तो लाँक डाँउन के इस दौर में जरूर देखिए । आपको यह फ़िल्म आपके सपनों को पूरा करने में मददगार साबित हो सकती है।

पिंक

यह फ़िल्म 16 सितंबर 2016 को रिलीज़ हुई थी। इसको अनिरुध्द रॉय चौधरी जी इस फ़िल्म के डायेरेक्टर हैं। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू, कीर्ती कुल्हारी, अंगद बेदी, पियूष मिश्रा, एंड्रिया तारियांग मुख्य भूमिका में हैं।

यह फ़िल्म महीलाओं को इस लिए देखनी चाहिए कि कैसे एक महिला खुद को इंसाफ दिलाने के लिए इस पुरुष वर्ग समाज के ख़िलाफ़ ख़ड़ी होती है और गुनाहगारों को परास्त करती है। सच में यह फ़िल्म बहुत कुछ सिखाती है। लाँक डाँउन में घर में बैठकर बोर होने से अच्छा है कि इस फ़िल्म को देख अपनी इच्छाशक्ति मजबूत करें। और सीखें कि किस तरह इस विशैले समाज से अपने इंसाफ के लिए लडा जाता है । यह फ़िल्म कहती है कि अगर आप महिला हैं तो आपको

सब कुछ सहने की जरूरत नहीं है आपको आवाज उठाने की ज़रूरत है, आपको इस दकियानूसी समाज से डरना नहीं है।

थप्पड़

यह फ़िल्म 28 फ़रवरी 2020 को रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म में तापसी पन्नू मुख्य भूमिका में हैं । और इस फ़िल्म को अनुभव सिन्हा ने निर्दशित किया है।

इस फ़िल्म को देखने का सबसे बड़ा कारण यह है कि एक औरत जो घर का सारा काम करती है, अपने पति और घरवालों से प्यार करती है। उसका पति भी उससे प्यार करता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप जिससे प्यार करते हैं, आप उसको मार भी सकते हैं। यही थप्पड़ की खासियत है कि यह फ़िल्म उन लोगो पर थप्पड़ मारती है जो अपनी बीबी या अपने प्यार करने वालों पर बेवजह हांथ उठाते हैं। महिलाओं का भी आत्मसम्मान होता है। आप भरी समाज में अपनी पत्नी पर हांथ नहीं उठा सकते हैं क्योकी महिलाओं को भी बराबर का हक है, कि अगर आपने कुछ गलत किया है तो वो आप पे अंगुली उठा सकें।

तुम्हारी सुलु

यह फ़िल्म 17 नवंबर 2017 को रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म को कामाक्षी राय ने निर्देशित किया है। इस फ़िल्म में विद्या बालन, नेहा धूपिया, मानव कौल मुख्य भूमिका में है।

इस फ़िल्म की खासियत यह है कि यह फ़िल्म आपको यह बताती है कि अपने पैशन को फाँलौ करना चाहिए। एक गृहणी सिर्फ खाना बनाकर अपने परिवार को नहीं पाल सकती बल्की वह अगर नौकरी करना चाहती है तो वह नौकरी भी कर सकती है । और नौकरी के साथ साथ वह अपना घऱ भी चला सकती है। समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि औरते केवल घर का ही काम कर पाती है न कि घऱ के खर्च में अपने पति का हांथ बटा सकती हैं। यह फ़िल्म सिखाती हैं कि कैसे एक औरत कमा भी सकती है, घर के खर्च में पति का हांथ भी बटा सकती है, घर भी चला सकती है और अपने सपने को भी पूरा कर सकती है।

तो अगर आप लाँक डाँउन में बैठे – बैठे बोर हो रहे हैं तो आनंद लीजिए ऊपर लिखी हुई फ़िल्मों का और सीखीए की एक महिला अपने हक के लिए किस हद तक जा सकती है, एक महिला

क्या – क्या कर सकती है।

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