Blood Cancer Kya Hota Hai? जाने इसके कारण, लक्षण और घरेलु उपचार

Blood Cancer Kya Hota Hai: कैंसर एक बहुत ही घातक बीमारी है जो वर्तमान समय में बहुत तेजी से बढ़ रही है। कैंसर कई प्रकार के होते हैं जिनमें से ब्लड कैंसर भी बहुत प्रमुख है। ब्लड कैंसर के मरीज पहले की तुलना में अब बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। इस कैंसर के अंदर हमारे खून के अंदर कैंसर हो जाता है जिससे ब्लड सेल बहुत तेजी से बढ़ने लगती है। ब्लड कैंसर को हम अंग्रेजी में ल्यूकेमिया के नाम से भी जानते हैं। ब्लड कैंसर का संबंध हमारे शरीर के खून और बोन मैरो से होता है।

Table of Contents | विषयसूची

ब्लड कैंसर की शुरुआत हड्डियों में पाई जाने वाली बोन मैरो से होती है। हमारे शरीर में खून का निर्माण इसी बोन मैरो से शुरू होता है। अगर शुरुआती स्टेज में ही हम ब्लड कैंसर का पता लगा लेते हैं तो इसका इलाज संभव है। ऐसे में आपको ब्लड कैंसर के बारे में सभी प्रकार की जानकारी होना आवश्यक है।

आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि ब्लड कैंसर क्या है? ब्लड कैंसर के कितने प्रकार है? ब्लड कैंसर के कारण और लक्षण क्या है? ब्लड कैंसर की स्टेज क्या है? साथ ही ब्लड कैंसर के उपचार के कॉम्प्लिकेशन और इसमें लेने वाली डाइट के बारे में चर्चा करेंगे। पूरी जानकारी के लिए आपको इस आर्टिकल को अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़ना होगा।

ब्लड कैंसर क्या होता है? | Blood Cancer Kya Hota Hai

ब्लड कैंसर या ल्यूकेमिया के अंदर हमारी हड्डियों के अंदर उपस्थित बोन मैरो में बहुत ही ज्यादा वाइट ब्लड सेल्स की संख्या बनने लगती है। इन सेल्स को ल्यूकेमिया सेल्स कहते हैं। बहुत ज्यादा मात्रा में व्हाइट ब्लड सेल्स बनने की वजह से यह है हमारे रक्त में उपस्थित रेड ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स की संख्या को जगह नहीं देती है जिसकी वजह से हमारा शरीर असामान्य तरीके से काम करने लगता है। जब व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या एक लिमिट से ज्यादा हो जाती है तो हमें कैंसर हो जाता है जो अलग-अलग प्रकार के लक्षणों से हमें दिखाई देता है।

कैंसर की शुरुआत में ही अगर इसके लक्षणों को पहचान कर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह आगे चलकर मरीज के लिए जानलेवा साबित होती है। हड्डियों में शुरू हुई यह ब्लड कैंसर धीरे-धीरे शरीर के बाकी अंगों तक फैल जाता है जिसकी वजह से पूरा शरीर धीरे-धीरे खत्म होने लगता है।

रक्त कैंसर के प्रकार | Blood Cancer Ke Parkar

शरीर के ब्लड में होने वाले इस कैंसर के कई प्रकार हैं। मुख्य रूप से ब्लड कैंसर तीन प्रकार का होता है। आईए जानते हैं इसके बारे में…

ल्यूकेमिया(Leukemia)

ल्यूकेमिया ऐसा ब्लड कैंसर है जो हमारी अस्थि मज्जा के अंदर होता है। इस ब्लड कैंसर में आपके शरीर में व्हाइट ब्लड सेल का निर्माण बहुत तेजी से होता है। इसकी वजह से शरीर में बनने वाली लाल रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स तेजी से कम होने लगती है और शरीर में श्वेत रक्त कणिकाएं बढ़ने लगते हैं।

लिंफोमा(Lymphoma)

लिंफोमा एक ऐसा ब्लड कैंसर होता है जो हमारे शरीर के लिंफोसाइट सिस्टम में होता है। इसके अंदर हमारे शरीर में मौजूद लिम्फ्स पर बहुत ज्यादा असर होता है। इसकी वजह से हमारे शरीर की नसों लिंफ नोड्स स्प्लीन और थाइमस ग्रंथि में बहुत ज्यादा नुकसान होता है।

मायलोमा Myeloma)

यह एक ऐसा ब्लड कैंसर है जिसके अंदर हमारी बोन मैरो में उपस्थित प्लाज्मा कोशिकाओं का नुकसान होता है। इसकी वजह से हमारे शरीर की सभी हड्डियां ब्लड और किडनी को बहुत ज्यादा नुकसान होता है।

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रक्त कैंसर के कारण | Blood Cancer Ke Karan

अभी तक ब्लड कैंसर होने का सही कारण याद नहीं हो पाया है वैज्ञानिक इसके लिए लगातार रिसर्च कर रहे हैं लेकिन कुछ कारण ऐसे माने जा रहे हैं जिनकी वजह से ब्लड कैंसर ट्रिगर होता है। आईए जानते हैं उनके बारे में

  • अगर हमारे शरीर में लंबे समय से कोई भी संक्रमण फैला हुआ है और हम उसका इलाज नहीं करवाते हैं तो ब्लड कैंसर हो सकता है।
  • अगर किसी व्यक्ति के अंदर इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो गया है तो उसकी वजह से ब्लड कैंसर हो जाता है।
  • कई बार हम किसी अन्य बीमारी का इलाज रेडिएशन थेरेपी के माध्यम से करवा रहे होते हैं तो बहुत ज्यादा रेडिएशन थेरेपी करवाने की वजह से भी हमें ब्लड कैंसर हो सकता है।
  • ब्लड कैंसर किसी को भी हो सकता है जिसमें व्यक्ति की बोन मैरो में खून बनाने की क्षमता कम हो जाती है जिसकी वजह से शरीर में खून की कमी होने लगती है और एक समय ऐसा आता है जब इंसान की मृत्यु हो जाती है।

रक्त कैंसर के लक्षण | Blood Cancer Ke Lakshan

जब भी ब्लड कैंसर होता है तो कई प्रकार के लक्षण हमारे शरीर में नजर आने लगते हैं। हमें इन लक्षणों को कभी इग्नोर नहीं करना चाहिए यहां पर हम आपको कुछ लक्षण बता रहे हैं जो आपको नजर आते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

  • खांसी या सीने में दर्द,
  • सांस लेने में तकलीफ,
  • बार-बार संक्रमण होना,
  • आसानी से चोट लगना या खून बहना,
  • बुखार,
  • ठंड लगना,
  • लगातार थकान,
  • कमजोरी,
  • भूख न लगना,
  • जी मिचलाना,
  • वजन कम होना,
  • रात को पसीना आना,
  • हड्डी/जोड़ों का दर्द,
  • पेट की परेशानी,
  • सिरदर्द,
  • खुजली या त्वचा पर दाने,
  • गर्दन, बगल या जांघों में सूजन

ब्लड कैंसर की स्टेजेस | Blood Cancer Stages

ब्लड कैंसर को हम मेटास्टेसिस के नाम से भी जानते हैं। इस मुख्य रूप से चार स्टेज में बांटा गया है प्रत्येक स्टेज में अलग-अलग प्रकार के लक्षण आपको दिखाई देते हैं शुरुआती स्टेज में इसके आंसर का इलाज संभव हो सकता है। लेकिन अंतिम स्टेज में पहुंचने के बाद कोई इलाज नहीं है।

स्टेज 1

जब ब्लड कैंसर की शुरुआत होती है तो हमारे शरीर में लिंफोसाइट्स की संख्या बढ़ने लगती है, साथ ही लिम्फ नोड्स भी बढ़ना शुरू हो जाते हैं। यह शुरुआती स्टेज है और इस स्थिति में आप अपना इलाज करवा सकते हैं और ठीक भी हो सकते हैं मेटास्टेसिस की यह शुरुआती स्टेज है।

स्टेज 2

जब ब्लड कैंसर दूसरे स्टेज में पहुंचता है तो यहां पर शरीर के कुछ अंग जैसे स्पेलिंग लीवर और लिंफ नोड की साइज बढ़ने लगती है। इस स्टेज में सभी अंग धीरे-धीरे प्रभावित होना शुरू होते हैं।

स्टेज 3

ब्लड कैंसर जब तीसरे स्टेज में प्रवेश करता है तो शरीर में खून की कमी होने लगती है जिसकी वजह से मरीज एनीमिया का शिकार हो जाता है। शरीर के अंग जैसे स्प्लीन लीवर और लिंफ नोड्स कैंसर से प्रभावित होना शुरू हो जाते हैं। यहां पर शरीर के अंगों के कार्य क्षमता धीरे-धीरे घटना शुरू हो जाती है।

स्टेज 4

ब्लड कैंसर की यह आखिरी स्टेज है जिसमें हमारे शरीर के ज्यादातर अंग कैंसर की चपेट में आ चुके होते हैं और धीरे-धीरे मरीज मौत की तरफ बढ़ रहा होता है। इस स्थिति में शरीर में उपस्थित प्लेटलेट्स काउंट तेजी से कम होने लगता है जिसकी वजह से फेफड़े और शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग कैंसर कोशिकाओं से प्रभावित होने लगते हैं। इस स्थिति में आने के बाद ब्लड कैंसर का इलाज संभव नहीं है।

रक्त कैंसर की कॉम्प्लिकेशंस | Blood Cancer Ke Complications

एक बार जब कोई मरीज ब्लड कैंसर का शिकार हो जाता है और शुरुआती स्टेज में अपना इलाज पर ध्यान नहीं देता है तो आगे चलकर उसको कई प्रकार के कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं। आईए जानते हैं उनके बारे में

  • किडनी ख़राब होना
  • एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया (एएमएल)
  • रक्त कैंसर के उपचार के कारण बांझपन
  • प्रारंभिक रजोनिवृत्ति
  • रक्तस्राव और चोट लगना (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया)
  • ल्यूकोपेनिया (कम WBC)
  • न्यूट्रोपेनिया (कम न्यूट्रोफिल, डब्ल्यूबीसी का एक प्रकार)
  • लिम्फेडेमा (लिम्फ नोड्स की सूजन)
  • खून के थक्के

ब्लड कैंसर का डायग्नोसिस | Blood Cancer Ka Diagnosis

ब्लड कैंसर का मरीज जब भी डॉक्टर के पास जाता है तो डॉक्टर उसका कई प्रकार से टेस्ट करता है, एग्जामिनेशन करता है। उसके बाद ही यह पता लगता है कि ब्लड कैंसर है अथवा नहीं। आईए जानते हैं ब्लड कैंसर को डायग्नोसिस करने के कुछ प्रमुख तरीकों के बारे में।

फिजिकल एग्जामिनेशन

शुरुआत में जब कोई भी मरीज डॉक्टर के पास जाता है तो उसकी शरीर में नजर आ रहे लक्षणों के आधार पर ही यह पता लगाया जाता है कि उसे ब्लड कैंसर है या नहीं। मरीज के अंदर एनीमिया की कमी है त्वचा पीली पड़ चुकी है। लिंफ नोड्स में सूजन है साथ में लिवर और स्प्लीन की साइज बढ़ रही है तो डॉक्टर यह है मानते हैं कि मरीज को ब्लड कैंसर हो सकता है।

लेबोरेटरी एग्जामिनेशन

  • फिजिकल एग्जामिनेशन में जब डॉक्टर को ब्लड कैंसर के लक्षण नजर आते हैं तो लैबोरेट्री एग्जामिनेशन करवाते हैं। साइटोकेमिस्ट्री टेस्ट करवाया जाता है इस टेस्ट के अंदर यह पता लगाया जाता है कि ब्लड कैंसर की बीमारी मरीज को कितने समय से है यह शरीर के कौन-कौन से अंगों को प्रभावित कर रही है ।
  • इसके अलावा एक साइटोंकेमिकल टेस्ट भी किया जाता है जिसमें ब्लड कैंसर का इलाज करने में मदद मिलती है। विभिन्न प्रकार की शरीर की कोशिकाओं का अध्ययन किया जाता है इसके लिए सीबीसी (CBC) टेस्ट किया जाता है।
  • ब्लड सेल्स के बहुत ज्यादा अध्ययन करने के लिए पेरीफेरल स्मीयर टेस्ट किया जाता है।
  • इसके अलावा मरीज की संपूर्ण शरीर की स्वास्थ्य की जांच के लिए किडनी फंक्शन टेस्ट लिवर फंक्शन टेस्ट जैसे टेस्ट किए जाते हैं।

बोन मैरो स्टडी और बायोप्सी

क्योंकि ब्लड कैंसर की शुरुआत बोन मैरो से होती है इसलिए बोन मैरो की बायोप्सी की जाती है जिसमें बोन मैरो का एक छोटा नमूना एक सुई की सहायता से निकलकर उसका टेस्ट किया जाता है जिससे पता चलता है कि ब्लड कैंसर किस लेवल तक हो चुका है।

सीटी स्कैन

शरीर के सिटी स्कैन करने से भी ब्लड कैंसर का पता लग जाता है साथ ही बोन मैरो के माध्यम से हो रहे ब्लड कैंसर की जांच में सीटी स्कैन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा शरीर में ब्लड कैंसर की वजह से हो रहे कॉम्प्लिकेशन का भी अंदाजा सिटी स्कैन या एमआरआई स्कैन के माध्यम से चल जाता है।

लंबर पंचर

लंबर पंचर के अंदर रीड की हड्डी में एक छोटा छेद निकालकर वहां से सैंपल लिया जाता है और उसकी स्टडी की जाती है ।

ब्लड कैंसर का उपचार | Blood Cancer Ka Treatment

ब्लड कैंसर हो जाने के बाद अगर शुरुआती स्टेज में ही इसका पता लगा लिया जाता है तो विभिन्न प्रकार के ट्रीटमेंट संभव है। आईए जानते हैं इसके बारे में…

औषध चिकित्सा (Drug Therapy)

ब्लड कैंसर की शुरुआती स्टेज में ही अगर इसका पता लग जाता है तो दवाओं का उपयोग करके इसका इलाज संभव है। मरीज को कुछ विशेष दवाई दी जाती है जो कैंसर कोशिकाओं के हो रहे तेजी से विकास को रोकती हैं जिसकी वजह से मरीज को राहत मिलती है।

विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy)

रेडिएशन थेरेपी के माध्यम से भी ब्लड कैंसर का इलाज किया जाता है। हालांकि यह थैरेपी इतनी सफल नहीं है लेकिन कई बार डॉक्टर इसका उपयोग करते हैं। ब्लड कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी को अच्छा माना जाता है।

कीमोथेरेपी (Chemotherapy)

कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी सबसे ज्यादा कारगर मानी जाती है। ब्लड कैंसर के इलाज के लिए भी डॉक्टर कीमोथेरेपी का उपयोग कर सकते हैं। इसके अंदर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है ताकि वह शरीर के दूसरे हिस्सों में प्रभाव ना दिखा सके।

मॉनिटरिंग

कई बार ऐसा होता है कि कैंसर कोशिकाओं को ठीक करने के लिए मॉनिटरिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया के अंदर मरीज के शरीर की आंतरिक क्रियो पर नजर रखी जाती है और उनमें हो रही परिवर्तन के अनुसार ही इलाज किया जाता है।

स्टेम सेल प्रत्यारोपण (Stem cell transplant)

अगर ऊपर बताए गए सभी ट्रीटमेंट के बाद भी मरीज ठीक नहीं हो रहा है तो स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ही अंतिम विकल्प बचता है। इस इलाज में मरीज की अस्थि मज्जा से सभी स्टेम कोशिकाओं को बाहर निकाल दिया जाता है और दूसरे व्यक्ति से ली गई स्वस्थ कोशिकाओं को वहां पर स्थापित कर दिया जाता है। सामान्य तौर पर रोगी के परिवार से ही स्वस्थ कोशिकाएं लेते हैं ताकि मैच करने में ज्यादा दिक्कत ना आए।

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ब्लड कैंसर के रिस्क को कम कैसे करें | Blood Cancer Ke Risk Ko Kam Kaise Kare

ब्लड कैंसर कभी भी एक दिन में उत्पन्न नहीं होता है। यह धीरे-धीरे आपके अंदर उत्पन्न होता रहता है। अगर आप एक स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाते हैं और कुछ बातों का ध्यान रखते हैं तो आप ब्लड कैंसर से बच सकते हैं या फिर इसके रिस्क को कम कर सकते हैं।

  • रोजाना आपको कम से कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज करने का नियम बना लेना है।
  • भोजन में आपको एंटीऑक्सीडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित डाइट लेनी है।
  • कीटनाशकों का जितना कम हो सके उपयोग करें।
  • रेडिएशन के संपर्क में आने से बच्चे।
  • रोजाना आपको कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना है।
  • कैंसर के किसी भी प्रकार के लक्षण अगर आपके शरीर में नजर आते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

ब्लड कैंसर में क्या खाना चाहिए | Blood Cancer Me Kya Khana Chahiye

  • ब्लड कैंसर के मरीजों को जितना हो सके जैविक खेती से उत्पन्न फल और सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • ब्लड कैंसर के मरीज की डाइट में बहुत ज्यादा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन होना चाहिए। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट फल और सब्जियां भोजन में शामिल होना जरूरी है।
  • जितना ज्यादा हो सके कैंसर के मरीज को तरल पदार्थ को सेवन करना चाहिए जिससे शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या ना हो।
  • आपको अपने भोजन में विटामिन खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन शामिल करना है क्योंकि इससे कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ लड़ने में मदद मिलती है।
  • ऐसे भोजन का सेवन करें जो आसानी से पचाया जा सकता है।
  • आसानी से खाए जाने वाले फलों का उपयोग करें।
  • पेट में जलन ना हो इसके लिए आपको ज्यादा से ज्यादा हाई फाइबर डायट लेना है।

ब्लड कैंसर में क्या नहीं खाना चाहिए | Blood Cancer Me Kya Nahi Khana Chahiye

कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ है जिनका नियमित रूप से ज्यादा इस्तेमाल करने से आपको ब्लड कैंसर की संभावना बढ़ जाती है या फिर आपको ब्लड कैंसर हो गया है तो आपको इन चीजों को खाना बंद कर देना चाहिए।

अधपका मीट

ब्लड कैंसर के मरीजों को हाई प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए लेकिन मीट और मछली को कभी भी आधा पकाकर या कच्चा नहीं खाना है। इससे आपके शरीर में अन्य कई प्रकार की बैक्टीरिया और पैथोजन प्रवेश कर सकते हैं जिससे आपका शरीर पहले की तुलना में ज्यादा कमजोर हो सकता है। कीमोथेरेपी ले रहे पेशेंट को बहुत अच्छे तरीके से पकाने के बाद ही मीट का सेवन करना चाहिए।

अनपॉश्चराइज्ड ड्रिंक्स

अगर आप चाय या दूध जैसे पीने वाले पदार्थ का उपयोग करते हैं तो आपको इन्हें अच्छे तरीके से उबालने के बाद ही उपयोग करना है। अगर आप इन्हें बिना उबाले ही इस्तेमाल करते हैं तो कई प्रकार के बैक्टीरिया और पैथोजन आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं जिससे आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

बिना धुली हुई फल और सब्जियां

फल और सब्जियों को पकाने के लिए कई प्रकार के कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है साथ ही इनकी बाहरी परत पर कई प्रकार के बैक्टीरिया हो सकते हैं। ऐसे में आपको फल और सब्जियों का इस्तेमाल करने से पूर्व इन्हें अच्छे तरीके से धो लेना है।

अन्य खाद्य पदार्थ

ब्लड कैंसर के मरीजों को बहुत ज्यादा कैफीन और ज्यादा खट्टे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। अल्कोहल का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए ज्यादा चीनी वाले या ऑइली फूड नहीं खाना चाहिए। कभी भी ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडा भोजन नहीं करना चाहिए इसके अलावा अगर सेब के जूस का इस्तेमाल किया जाता है तो यह और भी अच्छा है।

ब्लड कैंसर के बाद घर पर मरीज की देखभाल | Blood Cancer Ke Baad Marij Ki Dekhbhal

रक्त कैंसर के मरीज को इलाज के बाद में बहुत ज्यादा थकान का अनुभव होता है साथ ही उन्हें फिर से बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है। कैंसर के अलावा भी उन्हें कई प्रकार के इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में कैंसर के मरीज की जब घर पर देखभाल की जाए तो बहुत ही सावधानी रखना जरूरी है।

  • ब्लड कैंसर के मरीज को घर पर हमेशा ताजा खाना ही खिलाना है और एनर्जी ड्रिंक के साथ पानी भी बहुत पिलाना है।
  • कीमोथेरेपी के दौरान साइड इफेक्ट की वजह से बाल झड़ने लगते हैं ऐसे में दूसरे ब्लड कैंसर के मरीजों के साथ मरीज की मुलाकात करवाए।
  • कीमोथेरेपी की वजह से कई बार उल्टी आने का मन करता है तो ऐसे में घरेलू उपचार के लिए व्यवस्था रखनी चाहिए।
  • रोगी को किसी भी प्रकार के संक्रमण से दूर रखना है उसे कभी भी भेदभाव वाली जगह पर नहीं ले जाना है। घर से बाहर निकलते समय हमेशा चेहरे पर मास्क पहनना है।

सारांश | Conclusion

ब्लड कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। अगर आपको लंबे समय से बुखार बना हुआ है और हड्डियों में दर्द रहता है साथ ही शरीर में किसी भी प्रकार की ब्लीडिंग से संबंधित समस्या ज्यादा हो रही है, भूख लगा कम हो गया है, वजन घट रहा है, ऐसी स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि यह सभी ब्लड कैंसर के लक्षण है। हालांकि आपको ज्यादा घबराना नहीं है और डॉक्टर द्वारा कंफर्म करने के बाद ही यह पता चलता है कि मरीज को ब्लड कैंसर है अथवा नहीं।

अगर आपने इस आर्टिकल को यहां तक पढ़ लिया है तो आपको ब्लड कैंसर से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हो चुकी है। अगर आप इस जानकारी को दूसरे लोगों तक भी शेयर करेंगे तो और भी ज्यादा अच्छा होगा स्वास्थ्य संबंधी इसी प्रकार की जानकारी के लिए नियमित रूप से हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहें।

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