गर्भावस्था का चौथा हफ्ता – लक्षण, शिशु में बदलाव, आहार, सलाह

गर्भावस्था का चौथा हफ्ता गर्भवती महिला और शिशु के विकास के लिए बहुत अहम होता है, शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिए गर्भावस्था के पूरे काल में ही देखभाल बहुत जरूरी है। भ्रूण विकास के लिए चौथा हफ्ता बहुत महत्वपूर्ण होता है इसी समय महिलाओं को अपने गर्भवती होने का एहसास होने लगता है और डॉक्टर भी इसी समय बच्चे के जन्म की संभावित तारीख बता देते हैं। इस हफ्ते में आपमें भ्रूण आरोपित होने लगता है जिसको प्राय: ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं, गर्भावस्था की दीवार (पेट में उभार वाला आंतरिक भाग) में रक्त इतना भर चुका होता है कि कोई भी फटन हल्के से रक्त स्राव का कारण बन सकती है। यह समय भ्रूण के विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस समय भ्रूण के विकास में असामान्यताएँ होने के साथ जोखिम रहता है क्योंकि इस समय भ्रूण के मस्तिष्क,हृदय,सिर,रीढ की हड्डी,माँसपेशियों,ऊतकों (Tissue) और दाँत सभी का विकास होता है और महिलाओं को शुरुआती दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल की जरूरत होती है।

इसके लक्षण

इस समय शरीर में हॉर्मोन्स का स्तर बढ रहा होता है, प्रात:कालीन थकान व जी मिचलाने जैसे सामान्य लक्षण इस समय सबसे ज्यादा होते हैं और इसी समय भूख या कुछ खाने की जबरदस्त इच्छा होने लगती है। परन्तु किसी भी चीज के सेवन से पूर्व यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वह आपके पेट में पल रहे भ्रूण पर कुप्रभाव न डाले।
•इस समय भ्रूण का आकार अंडाकार होता है, यदि आपको अपनी गर्भावस्था को लेकर कुछ संशय हो तो आपको अपनी जाँच करानी चाहिए।
•विशेष हॉर्मोन्स के स्राव की वजह से महिला के शरीर में खिंचाव व तनाव पैदा हो जाता है।
•स्तन ग्रन्थियाँ (Mammary gland) बढने लगती है जिससे सीने में दर्द होने लगता है, स्तन कठोर होने लगते हैं जिसे छाती में दर्द की शिकायत बढ सकती है और पूरे एक महीने तक ये प्रक्रिया चलती रहेगी।
•काम करते समय थकान का अनुभव होना व मूड में अचानक परिवर्तन आना इन दिनों खूब होता है।
•चक्कर आना इन दिनों एक सामान्य समस्या है।
•महिलाओं में सूँघने की शक्ति बढ जाती है जिससे की किसी भी चीज की महक अधिक और जल्द महसूस होने लगती है, किसी भी दुर्गंध से उल्टी करने की संभावना बढ जाती है।

शिशु में बदलाव

इस अवस्था में गर्भ में कोशिकाओं का गोलाकार गुच्छा भ्रूण के रूप में विकसित हो चुका होता है,इस समय तक गर्भधारण, निषेचन और आरोपण हो चुका होता है। भ्रूण में दो परतें पाई जाती हैं, जिन्हें एपिब्लास्ट और हाइपोब्लास्ट कहा जाता है इसके अलावा, इस हफ्ते के दौरान भ्रूणावरण और भ्रूण तक रक्त और पोषक तत्वों का स्थानांतरण करने वाली थैली का भी विकास होता है। कोशिकाएँ प्राय: तीन परतों में विभाजित होती है जिससे कि आपके शिशु के अंग और ऊतक बनेंगे। सबसे ऊपरी परत से शिशु का मस्तिष्क,रीढ की हड्डी,नसें, त्वचा,बाल और नाखून विकसित होते हैं। मध्य परत से अस्थि पंजर और मांसपेशियाँ विकसित होती है और इसी से शिशु का हृदय व रक्त संचरण तंत्र बनेगा। तीसरी परत में फेफड़ों,आँतों और मूत्र नलिका का विकास होता है।

आहार

गर्भावस्था में दर्द,चिड़चिड़ापन और थकान इत्यादि जैसी समस्याओं के निवारण के लिए स्वस्थ आहार की आवश्यकता होती है क्योंकि आपके साथ ही आपके शिशु का पोषण जुड़ा होता है।
•थकावट से बचने के लिए पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन जरूरी है।
•अधिक मात्रा में फलों और सब्जियों को अपनेे आहार में शामिल करना चाहिए क्योंकि इसमें मौजूद फॉलिक एसिड से शिशु के तंत्रिका तंत्र का निर्माण होता है।
•प्रोटीन युक्त पदार्थों उदाहरणार्थ : अंडा, दाल व चिकन को अपने आहार में शामिल करें।
•महिलाओं को ठंडे व्यंजनों को खाने से दूर रहना चाहिए।
•कैफीनयुक्त,धूम्रपान व अन्य मादक पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए ये आपके शिशु के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं।

इस सप्ताह में सलाह

•इस दौरान किसी भी प्रकार के तनाव या अन्य परेशानियों से ग्रसित न हो जो भी बात हो उसको अपने पार्टनर के साथ साझा करें।
•अपनी आदतों में सुधार लाएँ व शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने दें।
•अपने प्रसूति विशेषज्ञ के परामर्श के आधार पर ही कोई कार्य करें।
•शुरुआती सप्ताहों में पपीता,अनानास जैसे फल न खाएँ क्योंकि इनसे गर्भपात का खतरा बढ सकता है।
•अधिक गर्मी में या ज्यादा तापमान में न रहें क्योंकि इससे शिशु के विकास पर कुप्रभाव पड़ता है।
•अधिक से अधिक आराम करें व खानपान का व्यवस्थित ध्यान रखें।

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