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किसी भी स्त्री के जीवन में माँ बन ना एक ऐसा सुख है जिसकी तुलना जीवन के किसी अन्य सुख से नहीं की जा सकती और इस सुख की प्राप्ति के लिए गर्भावस्था के नाज़ुक दौर से प्रत्येक महिला को गुजरना पड़ता है। अधिकांश महिलाओं को गर्भावस्था के दूसरे महीने से ही गर्भ में शिशु के होने का अनुभव शुरू हो जाता है, तो ऐसे में यह जान लेना आवश्यक है की इस दौरान आपके शरीर में क्या बदलाव आ सकते हैं और आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। इसलिए आज हम आप सभी महिलाओं के लिए कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनका आपको आपकी गर्भावस्था के दौरान ख़ास ख्याल रखना चाहिए और इसी के साथ हम आपकोगर्भावस्था के दुसरे माह के लक्षण, शरीर में होने वाले बदलाव, खान-पान एवं सावधानियों से भी अवगत कराएँगे। तो चलिए अब इन तथ्यों को हम विस्तार से बताते हैं –
गर्भावस्था के द्वितीय माह के लक्षण
प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने में आपका पेट दिखना शुरु नहीं होता है परन्तु आपके अंदर अनेकों परिवर्तन हो रहे होते हैं। आपका बच्चा जो छोटे से ब्लास्टोसिस्ट के रूप में होता है बड़ा होना शुरु हो जाता है और इसे अब भ्रूण कहा जा सकता है। गर्भावस्था के दूसरे महीने में शरीर में हार्मोन्स बदलने लगते हैं। हालांकि, इस महीने के कुछ लक्षण पहले महीने जैसे ही होते हैं, लेकिन इसी के साथ कुछ नए लक्षण भी नज़र आते हैं। ये कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं
- दुसरे माह के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन्स के बढ़ने के कारण स्तन का आकार बढ़ने लगता है। इसके अलावा, निप्पल के आसपास का भाग भी कड़ा हो सकता है।
- हार्मोन्स के उतार चढ़ाव के कारण आपके मिजाज में परिवर्तन होना जायज है। ऐसे में आपका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है। आप एक पल खुश तो कभी अपने बच्चे की देखरेख के बारे में सोच दुखी हो सकती हैं। आप जिद्दी और अविवेकी बर्ताव भी कर सकती हैं पर ऐसा होना बेहद आम बात है तथा ऐसी बातों को सोचकर आपको मानसिक तनाव नहीं बढ़ाना चाहिए।
- आपको मॉर्निंग सिकनेस होना भी आम बात है, जिसमें जी मिचलना, चक्कर आना व उल्टी आने जैसा अहसास होगा।
- इस दौरान आपको बार बार पेशाब लगने की समस्या झेलनी पड़ती है । यह एच.सी.जी. हॉर्मोन के स्रावित होने का एक परिणाम है, इसे मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन हॉर्मोनकहा जाता है और दुख की बात यह है कि पूरी गर्भावस्था के दौरान यह स्थिति बनी रहती है। इसलिए, किसी भी गर्भवती महिला के लिए हाइड्रेटेड रहना अर्थात लगातर पानी का सेवन अत्यंत आवश्यक है ।
- गर्भावस्था के इस माह के दौरान आपको विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन करने की प्रबल इक्षा जागृत होती है एवं पोषण संबंधी कमी इस प्रकार की इच्छा शक्ति को बढ़ावा दे सकती है, इसलिए जब तक खाने की ये इच्छाएं हानिकारक न हों इन्हें पूर्ण किया जा सकता है। लेकिन ज्यादातर स्वास्थ्यकर(हेल्दी फ़ूड) विकल्प चुन नें में ही समझदारी है।
द्वितीय माह में होने वाले शारीरिक बदलाव
इस माह आप गर्भवती नहीं दिखेंगी लेकिन आप प्रेगनेंसी को महसूस करना शुरू कर देंगी। आपका गर्भाशय आपके बच्चे को विकास करने के लिए जगह बनाना शुरू कर देता है और जैसे जैसे आपका गर्भाशय फैलता है, यह आपके मूत्राशय पर दबाव डालने लगता है जिस से आपको पेशाब अधिक लगने लगता है। इस माह के अंत तक आपकी कमर थोड़ी चौड़ी हो सकती है और पैरो में हल्की सूजन भी आ सकती है। पानी की कमी के कारण त्वचा का शुष्क होना भी एक समस्या बन सकता है। इस दौरान आपको सीने में जलन और सांस लेने में तकलीफ होना संभावित है।
आइये अब खान- पान के सन्दर्भ में भी बात कर लेते हैं, आगे हम आपको गर्भावस्था के दौरान खान-पान से जुडीसावधानियों के बारे में बताने जा रहे हैं-
क्या खाएं
आयरन युक्त भोजन
आयरन शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी से एनीमिया की शिकायत हो सकती है। इस से बचने के लिए आप सेब, पालक व हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन कर सकती हैं। गर्भावस्था में केवल आयरन युक्त भोजन ही काफ़ी नहीं है, इसलिए डॉक्टर आपको आयरन की गोलियां भी दे सकते हैं।
कैल्शियम युक्त भोजन
गर्भावस्था के दूसरे महीने में कैल्शियम की आवश्यकता बढ़ जाती है, क्योंकि इस दौरान शिशु की हड्डियां सख्त होनी प्रारम्भ हों जाती हैं। इसके लिए आपको डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, पनीर आदि का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए।
प्रोटीन युक्त भोजन
इस दौरान प्रोटीन की संतुलित मात्रा लेना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए विभिन्न दालें, दूध व अंडे जैसी चीजों का सेवन करना ना भूलें।
फोलिक एसिड युक्क्त पदार्थ
फोलिक एसिड विटामिन-बी का एक प्रकार है, जो गर्भावस्था के शुरुआती चरण में लेना जरूरी है। यह शिशु की रीढ़ की हड्डी और दिमागी विकास के लिए जरूरी होता है। इसके लिए आप पालक, हरी पत्तेदार सब्जियां, नट्स, बींस, चिकन, मांस व साबुत अनाज का सेवन कर सकती हैं।
क्या ना खाएं
- शराब व तम्बाकू के सेवन से बिलकुल परहेज करना चाहिए।
- इस दौरान कच्चे अंडे का सेवन बिलकुल नही करना चाहिए क्योंकि इससे साल्मोनेला नाम संक्रमण का ख़तरा होता है जिस से उल्टी व दस्त की समस्या हो सकती है।
- गर्भावस्था में गैर पाश्चराइज्ड दूध नहीं पीना चाहिए, इसमें लिस्टेरिया नामक बैक्टीरिया होता है, जिससे गर्भपात और समय पूर्व प्रसव का ख़तरा बढ़ने की संभावना होती है।
- इस महीनें के दौरान सॉफ्ट चीज़ खाने से बचना चाहिए।
- इस दौरान कच्चा मांस खाने से बचें क्योंकि इसमें लिस्टेरिया नामक बैक्टीरिया होता है जो शिशु के विकास में बाधा पहुंचाने का कार्य करता है।
गर्भावस्था के दौरान स्कैन व परिक्षण
खान-पान के अलावा गर्भवती स्त्री के लिए ज़रूरी है कि वह समय-समय पर डॉक्टर से जांच करवाए। डॉक्टर द्वारा हर महीने निम्नलिखित जांचे की जाती हैं
रक्त जांच
- हिमोग्लोबिन और आयरन के स्तर की जांच।
- रूबेला और चिकन पॉक्स जैसे रोगों की जांच।
- संक्रमण वाले रोगों की जांच।
- इसी के साथ वजन की भी जांच समय समय पर होनी आवश्यक है।
यूरिन टेस्ट
शुगर की जांच
प्रोटीन टेस्ट
इसमें किडनी व उच्च रक्तचाप की जांच की जाती है।
आवश्यक सावधानियां, क्या करें क्या नहीं
क्या करें
- स्तन के माप में वृद्धि होने के कारण, आपको एक ऐसी ब्रा की आवश्यकता होगी जो न केवल उसके आकार को अच्छा बनाती है, बल्कि सही सहारा भी प्रदान करती है।
- बीमारी से बचने के लिए सावधानी बरतना आवश्यक है, भोजन करने से पहले या भोजन बनाने से पहले साफ पानी और सैनिटाइज़र का उपयोग करके हाथ साफ अवश्य करें।
- डॉक्टर की सलाह से फोलिक एसिड और अन्य अनुपूरक लेते रहें।
- एक बार में भोजन करने की जगह दिनभर में थोड़ा-थोड़ा और कई बार खाएं जिससे खाना पचाने में आसानी होगी।
- आपके शरीर के अंदर इतने बदलाव होने के कारण आपको सामान्य से बहुत अधिक आराम की आवश्यकता होती है, इसलिए भरपूर आराम करें।
क्या ना करें
- तैलीए पदार्थ और जंक फ़ूड से परहेज़ करें।
- डॉक्टर से बिना पूछे कोई भी दवा का सेवन ना करें।
- धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें।
- खाली पेट ना रहें, इससे जी मिचलाने की समस्या में बढ़ोतरी हो सकती है।
- गर्भावस्थास में तैराकी करने से बचें और कोई भी भारी वजन ना उठाएं। बहुत ज्यादा एक्सरसाइज न करें, हल्के व्ययाम करने की कोशिश करें लेकिन पहले डॉक्टर्स से सलाह जरूर लें।
इस सम्पूर्ण लेख को पढने के बाद, आशा करता हूँ की आपके मन में चल रहे बहुत से प्रश्नों के उत्तर आपको मिल गए होंगे।
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