Shattila Ekadashi: हिंदू धर्म के लोगों के लिए एकादशी का व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है। पूरे साल अलग-अलग तरह की एकादशी मनाई जाती है। सभी प्रसिद्ध एकादशी के व्रत में षटतिला एकादशी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से षटतिला एकादशी के बारे में पूरी जानकारी जैसे की षटतिला एकादशी क्या है(Shattila Ekadashi kya hai), क्यों मनाई जाती है और इस एकादशी का व्रत रखने की पूरी विधि क्या है। पूरी जानकारी विस्तार से जानेंगे।
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Shattila Ekadashi 2024 Kab Hai: षटतिला एकादशी कब है?
साल 2024 में षटतिला एकादशी 6 फरवरी 2024 को मनाई जाएगीl
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Shattila Ekadashi Kya Hai: षटतिला एकादशी क्या है?
षटतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष में आती है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कहां जाता है कि जो भी कोई प्राणी इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा अर्चना कर लेते है, उसे सारे पापों से छुटकारा मिल जाता है। इस दिन दान भी करना चाहिए। हर साल हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा घर में सुख शांति के लिए इस व्रत को रखा जाता है। मुख्य रूप से इस एकादशी में दान ज्यादा किया जाता है।
Shattila Ekadashi Kyun Manate Hai: षटतिला एकादशी क्यों मनाई जाती है?
षटतिला एकादशी को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में एक ब्राह्मणी हुआ करती थी। वह काफी ज्यादा पूजा पाठ करती थी। जो भी व्रत आता था, वह उसे पूरे विधि विधान के साथ करती थथी
उस ब्राह्मणी ने अपने जीवन में किसी का भी बुरा नहीं किया। उसकी भक्ति देखकर भगवान विष्णु काफी ज्यादा प्रसिद्ध हो जाते हैं और वह ब्राह्मणी के घर भेश बदलकर पहुंच जाते हैं। ब्राह्मणी के घर जाकर वह भिक्षा मांगते हैं। ब्राह्मणी भिक्षा देने के स्थान पर एक मुट्ठी मिट्टी की दे देती है।
ब्राह्मणी ने अपने जीवन काल में पूजा पाठ तो काफी की थी,लेकिन कभी दान नहीं किया था। जब ब्रह्माणी की मृत्यु हुई तो उसे बैकुंठ लोक में स्थान मिला। लेकिन उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया गया। उस ब्राह्मणी ने भगवान विष्णु जी से पूछा कि मुझे बैकुंठ लोक में अच्छा स्थान तो मिल गया है।
लेकिन मेरे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है। भगवान विष्णु ने कहा कि तुमने अपने जीवन काल में जो पूजा पाठ और धर्म किया है, उसके स्थान पर तुम्हें बैकुंठ में स्थान मिल गया है। लेकिन तुमने अपने जीवन में कभी भी दान नहीं किया।
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इसीलिए तुम्हारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। प्राचीन काल से यह मान्यता चली आ रही है कि हमें अपने जीवन में कभी ना कभी दान जरूर करना चाहिए। इसीलिए ही षटतिला एकादशी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में लोगों के द्वारा इस एकादशी के दिन तिल का दान किया जाता है ताकि उन्हें अनाज की कमी ना हो।
Shattila Ekadashi Ke Fayde Kya Hai: षटतिला एकादशी का महत्व क्या है?
षटतिला एकादशी को करने का काफी ज्यादा महत्व होता है। इस दिन लोगों के द्वारा तिल का दान किया जाता है। ताकि उनके जीवन में अनाज की कमी ना हो।
कहा जाता है कि जो भी प्राणी सच्चे मन से भगवान विष्णु के लिए व्रत रख लेता है, उसके जीवन में हमेशा सुख शांति रहती है।
षटतिला एकादशी का व्रत रखने से प्राणी को पापों से मुक्ति मिल जाती है।
Shattila Ekadashi Kaise Manate Hai- षटतिला एकादशी मनाने की विधि क्या है?
षटतिला एकादशी का फल लेना चाहते हैं, तो आपको विधि विधान से पूजा करनी होगी।
- आपको सुबह-सुबह उठकर स्नान करना होगा।
- इसके बाद मंदिर की साफ सफाई करके भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करनी होगी।
- गंगाजल में तिल मिलाकर प्रतिमा पर छिड़काव करना होगा।
- प्रतिमा पर पुष्प चढाने होंगे और धूप भी जलाएं।
- भगवान विष्णु जी का पाठ करें और मंत्र उच्चारण करके आरती करें।
- पूरे दिन भगवान विष्णु का मन में उच्चारण करते रहे और रात्रि के समय भगवान विष्णु जी को समर्पित हवन और पाठ करें।
- अगले दिन प्रात काल सुबह उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु को भोग लगाएं ।
- ब्राह्मणों को भी भोजन करवाएं और उसके बाद अंत में स्वयं भोजन करके व्रत को खोलें।