Pradosh Vrat: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत सभी महत्वपूर्ण व्रत में से एक है। हर महीने दो बार इस व्रत को रखा जाता है। प्रदोष व्रत का हमारे जीवन में काफी महत्व है। आज हम आपको प्रदोष व्रत के बारे में संपूर्ण जानकारी जैसे की यह व्रत क्यों रखा जाता है, कैसे इस व्रत को करें और व्रत से संबंधित सभी जानकारी बताने वाले हैं।
Pradosh Vrat 2024 List: इस साल प्रदोष व्रत किस तिथि को होगा,यहां देखें
व्रत रखने की तिथि | व्रत रखने का दिन |
9 जनवरी 2024 | मंगलवार |
23 जनवरी 2024 | मंगलवार |
8 फरवरी 2024 | गुरुवार |
22 फरवरी 2024 | गुरुवार |
8 मार्च 2024 | शुक्रवार |
22 मार्च 2024 | शुक्रवार |
23 मार्च 2024 | शनिवार |
7 अप्रैल 2024 | रविवार |
21 अप्रैल 2024 | रविवार |
6 मई 2024 | सोमवार |
21 मई 2024 | मंगलवार |
4 जून 2024 | मंगलवार |
20 जून 2024 | गुरुवार |
4 जुलाई 2024 | गुरुवार |
19 जुलाई 2024 | शुक्रवार |
2 अगस्त 2024 | शुक्रवार |
17 अगस्त 2024 | शनिवार |
31 अगस्त 2024 | शनिवार |
16 सितंबर 2024 | सोमवार |
30 सितंबर 2024 | सोमवार |
15 अक्टूबर 2024 | मंगलवार |
30 अक्टूबर 2024 | बुधवार |
14 नवंबर 2024 | गुरुवार |
29 नवंबर 2014 | शुक्रवार |
13 दिसंबर 2024 | शुक्रवार |
28 दिसंबर 2024 | शनिवार |
Pradosh Vrat । प्रदोष व्रत क्या है?
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। माता पार्वती और भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत रखा जाता है। कहां जाता है कि प्रदोष में भगवान शिव जी कैलाश पर्वत पर रहते हैं। इसीलिए जो भी कोई श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान शिव जी की उपासना कर लेता है,उसकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती हैं। इसीलिए ही प्रदोष व्रत रखा जाता है।
प्रदोष व्रत क्यों मनाया जाता है । Why We Celebrate Pradosh Vrat
हिंदू धर्म में जो भी त्यौहार एवं व्रत मनाए जाते हैं, उनको मनाने के पीछे कोई ना कोई कहानी तो होती ही है। इसी प्रकार प्रदोष व्रत को मनाने के पीछे भी कई सारी मान्यताएं छुपी हुई है। पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला था, तो पूरे संसार को बचाने के लिए महादेव ने वह विष खुद पी लिया था। जहर पीने के बाद भोलेनाथ का कंठ नीला हो गया था और पूरे शरीर में जलन होने लगी थी।
तभी सभी देवताओं ने बेलपत्र और जल से भगवान शिव जी की जलन को कम किया। भगवान शिव जी ने जहर को पीकर पूरे संसार की रक्षा की थी। सभी देवता गण और संसार भगवान शिव जी के आभारी थे। सभी देवताओं ने भगवान भोलेनाथ की स्तुति की।
भगवान भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर तांडव किया। जिस समय भगवान भोलेनाथ ने तांडव किया था, उस समय त्रयोदशी तिथि और प्रदोष काल था। तभी से यह समय भगवान भोलेनाथ को प्यारा हो गया और तभी से ही महीने में दो बार जब भी यह तिथि आती है, तो प्रदोष व्रत रखा जाता है।
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प्रदोष व्रत का महत्व क्या है । Pradosh Vrat ke Fayde
अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति सही नहीं है तो आपको प्रदोष व्रत रखना चाहिए। कहा जाता है कि प्रदोष व्रत को करने से चंद्रमा की स्थिति सही हो जाती है।
- मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि जब भी कोई व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से रख लेता है, तो उसके जीवन से सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं और उसका जीवन खुशी और धन्य से भर जाता है।
- इस व्रत को करने से जब चंद्रमा की स्थिति सही होने लगती है, तो इसके प्रभाव से बुध, शुक्र और मंगल के दोष भी धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं।
- प्रदोष व्रत रखने से आप शारीरिक रूप से भी स्वस्थ होने लगेंगे।
- संतान प्राप्ति, नौकरी प्राप्ति और बिगड़े हुए काम बनाने के लिए भी प्रदोष व्रत रखा जा सकता है।
प्रदोष व्रत करने की विधि । Pradosh Vrat Ki Vidhi Aur Pooja ki Vidhi
अगर आप प्रदोष व्रत का फायदा चाहते हैं, तो आपको विधि अनुसार ही व्रत रखना होगा।
- सुबह उठकर जल्दी स्नान करें
- साफ सुथरे कपड़े पहने
- भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा करें
- शिवलिंग की जल गंगाजल एवं दूध से पूजा करें
- शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, शमी का पत्ता, चंदन, शहद और फूल चढ़ाएं।
- हाथ जोड़कर भगवान शिव जी की पूजा करें और उनके मंत्र का उच्चारण करें।
- शाम के समय व्रत को खोल सकते हैं। फलाहार का सेवन करें और इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि इस व्रत में आपको नमक नहीं खाना है।