Lakshadweep Kaise Bana Bharat ka Hissa: लक्षद्वीप कैसे बना भारत का हिस्सा, क्या है इसके पीछे का इतिहास, जानिए इसके पीछे की कहानी

Lakshadweep Kaise Bana Bharat ka Hissa: मालदीव के विरोध के बाद इन दिनों लक्षद्वीप खूब चर्चा का विषय बना हुआ हैं। आप देखेगे तो सोशल मिडिया पर इन दिनों लक्षद्वीप के काफी चर्चे हो रहे हैं। इस बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लक्षद्वीप नामक सुंदर जगह पर पहुंचे हैं। नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप जाने के बाद सोशल मिडिया पर लक्षद्वीप का डंका बज रहा हैं।

Lakshadweep Kaise Bana Bharat ka Hissa: लक्षद्वीप कैसे बना भारत का हिस्सा, क्या है इसके पीछे का इतिहास, जानिए इसके पीछे की कहानी
Lakshadweep Kaise Bana Bharat ka Hissa: लक्षद्वीप कैसे बना भारत का हिस्सा, क्या है इसके पीछे का इतिहास, जानिए इसके पीछे की कहानी

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप जाकर काफी सारे एडवेंचर किये। उनके एडवेंचर की तस्वीरे इन दिनों सोशल मिडिया पर खूब वायरल हो रही हैं। लक्षद्वीप भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश माना जाता है। जो सिर्फ 32.62 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी जी ने अपनी स्नोर्कलिंग की फोटो को सोशल मिडिया पर शेयर करते हुए Lakshadweep घुमने जाने की अपील लोगो से की हैं। मोदी जी ने कहा है की जो लोग एडवंचर करना पसंद करते हैं। ऐसे लोगो के लिए लक्षद्वीप काफी अच्छा साबित हो सकता हैं। 

आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से लक्षद्वीप के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते बताने बाले हैं। साथ साथ बताने वाले है की लक्षद्वीप भारत का हिस्सा कैसे बना। तो आइये हम आपको लक्षद्वीप के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं।

Lakshadweep Kaise Bana Bharat ka Hissa | लक्षद्वीप कैसे बना भारत का हिस्सा

इन दिनों अगर देखा जाए तो चारो तरफ Lakshadweep के नाम के चर्चे खूब हो रहे हैं। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है की आखिरकार लक्षद्वीप भारत का हिस्सा कैसे बना।

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दरअसल यह बात सन 1947 की हैं। जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था। इन दोनों देश के बंटवारे के समय भारत के गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल थे। उन्होंने उस समय 500 से भी अधिक रियासतों को एक करने की मुख्य भूमिका निभाई थी।

लेकिन भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समय उस समय के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली ने बंगाल, पंजाब, सिंध, और हजारा को पाकिस्तान के साथ सम्मलित करने के काफी प्रयास किये। लेकिन ऐसा माना जाता है इन प्रयासों के पीछे लक्षद्वीप पर किसी का भी ध्यान नही गया।

अब आजादी के बाद Lakshadweep किसी के भी पास नही था। यानी की लक्षद्वीप पर ना ही भारत का शासन था और ना ही पाकिस्तान का शासन था। लक्षद्वीप किसी के भी अधिकार क्षेत्र में नही था। उस समय लक्षद्वीप मुस्लिम बहुल क्षेत्र माना जाता था। 

ऐसे में आजादी के बाद अगस्त महीने में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली ने सोचा की Lakshadweep मुस्लिम इलाका हैं। और भारत ने लक्षद्वीप को पाने के लिए कोई दावा भी नही किया हैं। तो क्यों ना ऐसे में लक्षद्वीप पर अधिकार जमाकर लक्षद्वीप को अपने कब्जे में कर लिया जाए।

कुछ इतिहासकारों का इस बारे में मानना है की जब पाकिस्तान के के प्रधानमंत्री लियाकत अली Lakshadweep पर अपना अधिकार जमाने के बारे में सोच रहे थे। उस समय भारत के गृह मंत्री सरदार वल्ल्लभ भाई पटेल भी इस बारे में ही सोच रहे। लेकिन दोनों देश इस बात को लेकर कन्फ्यूज थे की लक्षद्वीप पर किसी ने दावा किया है या नही।

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लेकिन ऐसा माना जाता है की इसी बीच पाकिस्तान के पीएम लियाकत अली ने लक्षद्वीप पर अपना कब्जा जमाने के लिए पाकिस्तान से युद्धोपत लक्षद्वीप की तरफ रवाना कर दिया था। और यहां से भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई ने भी भारत के रामास्वामी और लक्ष्मणस्वामी को लश्कर के साथ लक्षद्वीप जाने के लिए रवाना कर दिया था।

सरदार वल्लभ भाई ने लश्कर को रवाना करते हुए कहां था की जितना जल्दी हो सके वह लक्षद्वीप पहुंच जाए और Lakshadweep पर भारत का राष्ट्रीयध्वज लहरा दे। लेकिन उस समय पाकिस्तान का युद्धोपत भी लक्षद्वीप आने के लिए निकल चूका था। ऐसा माना जाता है की पाकिस्तान का युद्धोपत आने से पहले भारत के फौजी लक्षद्वीप पहुंच चुके थे। और उन्होए पाकिस्तान के युद्धोपत से जल्दी पहुंचकर भारत का राष्ट्रीयध्वज लहरा दिया था।

ऐसा माना जाता है की Lakshadweep पर भारत का राष्ट्रीयध्वज लहराते हुए देखकर पाकिस्तान के युद्धोपत वहां से उलटे पांव पाकिस्तान की तरफ लौट गए थे। तब से लेकर आज दिन तक लक्षद्वीप भारत का एक अंग माना जाता हैं। आज के समय में लक्षद्वीप भारत का हिस्सा हैं। 

अगर भारत के फौजी उस समय अगर थोड़े से भी देरी से पहुंचे होते हैं। तो आज शायद हो सकता है की लक्षद्वीप पर भारत का अधिकार ना होता। तो कुछ इस तरीके से लक्षद्वीप भारत का हिस्सा बना। और आज भी भारत का हिस्सा हैं।

Lakshadweep भारत के लिए क्यों अहम माना जाता है

अगर देखा जाए तो लक्षद्वीप भारत के लिए सुरक्षा की नजर से अहम माना जाता हैं। भारत का लक्षद्वीप पर अधिकार होने की वजह से वहां से भारत के फौजी अन्य देशो पर अपनी नजर रख सकते हैं। ऐसा माना जाता है की जिस क्षेत्र पर हमारा अधिकार होता हैं। वहां से 22 किलोमीटर का एरिया देश के अधिकार में आता हैं। ताकि भारत के फौजी अन्य देश पर आसानी से नजर रख सकते हैं। इसलिए सुरक्षा के चलते लक्षद्वीप भारत के लिए काफी अहम और महत्वपूर्ण माना जाता हैं।

Lakshadweep क्यों बनाया गया केंद्र शासित प्रदेश

भारत ने जब लक्षद्वीप को अपने कब्जे में ले लिया उसके बाद सन 1956 में लक्षद्वीप को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। ऐसा माना जाता है उसके पहले लक्षद्वीप का नाम लक्कादीव-मिनिकॉय-अनिमिदीव था। इसके बाद भारत ने सन 1973 में इसका नाम लक्षद्वीप रखा।

जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने के बाद अब भारत में कुल 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। जिसमे से लक्षद्वीप भी एक केंद्र शासित प्रदेश माना जाता हैं। राज्य सरकार के पास अपने राज्य का कानून बनाने का अधिकार होता हैं। राज्य की सरकार अपने राज्य का संशोधन करने का अधिकार रखती हैं। 

लेकिन राज्य के सरकार की तरह केंद्र शासित प्रदेश के पास कोई भी सरकार नही होती हैं। केंद्र शासित प्रदेश पर केंद्र सरकार का अधिकार होता हैं। जो प्रदेश भारत की भूमि दे दुरी पर होते हैं। ऐसे देश को केंद्र शासित प्रदेश माना जाता हैं। और जनसंख्या कम होने की वजह से भी केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाता हैं। इसलिए ही लक्षद्वीप को भी केंद्र शासित प्रदेश दर्जा दिया गया हैं।

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