जिस प्रकार गर्भ धारण करना हर स्त्री के लिए दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है, उसी प्रकार गर्भपात उतना ही दुःखदाई होता है। ऐसे में आपको अपने शारीरिक स्वास्थ्य व मानसिक स्वास्थ्य दोनों की ही देखभाल करनी आवश्यक है। आप या आपका कोई परिजन अगर इस समय गर्भपात की समस्या से जूझ रहा है तो आपको उसे सांत्वना देनी चाहिए और अपना ख्याल रखने को कहना चाहिए, क्योंकि ज़िन्दगी में बुरे दिनों का आना स्वाभाविक है।
इस लेख में हम आपको गर्भपात होने के प्रमुख कारणों एवं गर्भपात के बाद किस परिस्थितियों में आपको चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए, के बारे में बताने जा रहें हैं। साथ ही हम आपको इस अवस्था में बरतने वाली सावधानियों व उचित खान-पान के बारे में भी बताएँगे।
गर्भपात होने के मुख्य कारण
1. गिरने या चोट आदि लगने से।
2. किसी सदमें या मानसिक तनाव की वजह से।
3. उचित समय पर डाक्टरी जांच न करवाना।
4. किसी इन्फेक्शन की वजह से।
5. बदलते हार्मोन्स के कारण।
6. अधिक उम्र का होना।
7. अधिक व्यायाम करना।
8. सही समय पर भोजन न करना।
9. असुरक्षित यौन क्रियाओं के कारण।
10. अत्यधिक सफ़र करना।
गर्भपात के बाद डाक्टरी मदद लेने का सही समय:-
1. हैवी ब्लीडिंग – गर्भपात के बाद कुछ मात्रा में रक्त स्त्राव होना सामान्य है। यदि आपको बार-बार सैनिटरी पैड इस्तेमाल करना पड़ रहा है तो यह सामान्य नहीं है। अधिक रक्त स्त्राव के साथ सर हल्का लगना, चक्कर आना व रक्त के थक्के बनना किसी आतंरिक चोट का संकेत हो सकती हैं। ऐसे में आपको डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।
2. गर्भपात के बाद दर्द कम न होना – गर्भपात से पूर्व गर्भाशय का आकार बढ़ा हुआ होता है और यह धीरे-धीरे अपने सामान्य आकार में आ जाता है। इस दौरान महिलाओं को माहवारी के दर्द से भी भयंकर दर्द का सामना करना पड़ जाता है। ऐसे दर्द से निजात पाने के लिए गर्म पानी या गर्म द्रव्यों का सेवन फायदेमंद होता है। फिर भी आपको दर्द से निजात न मिले तो आपको अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
3. संक्रमण की समस्या – गर्भपात होने के उपरान्त गर्भाशय की ग्रीवा या गर्दन आंशिक रूप से खुली रह सकती है, जिससे मूत्रमार्ग में संक्रमण होने का खतरा होता है। ऐसे में आपको तालाब, बाथ टब का इस्तेमाल व सेक्सुअल इंटरकोर्स से बचना चाहिए। अगर आपको सामान्य से अधिक दर्द हो रहा हो तो गायनेकोलाजिस्ट से अपनी व्यवस्थित जांच करानी चाहिए।
गर्भपात के बाद की सावधानियां:-
1. इस समय आपको अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं रखना चाहिए और तनाव नही होने देना चाहिए।
2. गर्भपात के बाद आपको 15 से 30 दिनों का आराम अवश्य करना चाहिए।
3. 1 महीने तक आपको शारीरिक सम्बन्ध बनाने से बचना चाहिए।
4. अपने डॉक्टर से हमेशा सम्पर्क में रहें। बुखार, मतली, ब्लीडिंग वा सूजन जैसे लक्षणों के दिखने पर डॉक्टर से अपनी जांच कराएं।
गर्भपात के बाद का खान-पान:-
गर्भपात के बाद क्या खाएं-
1. आयरनयुक्त खाद्य पदार्थ – गर्भपात के कारण अधिकतर महिलाओं को थकान व एनीमिया होने का खतरा होता है। साथ ही ब्लीडिंग ज्यादा होने की वजह से शरीर में आयरन की कमी भी हो जाती है। ऐसे में आयरन की आपूर्ति होना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए आपको हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मूंग-मसूर की दाल, मेवा, फलियाँ, कद्दू व तिल के बीज आदि का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
2. कैल्शियमयुक्त खाद्य पदार्थ – गर्भपात होने के बाद शरीर में कैल्शियम की भी कमी हो जाती है। इसलिए आपको हरी पत्तेदार सब्जियाँ, डेयरी प्रोडक्ट्स और सूखे फलों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
3. फोलेटयुक्त खाद्य पदार्थ – गर्भपात के बाद बहुत सी महिलायें फिरसे गर्भधारण करने के प्रयास में लग जाती हैं। ऐसे में फोलेटयुक्त भोजन इसमें सहायता प्रदान करता है। इसकी आपूर्ति के लिए आपको ब्रोकली, शतावरी, निम्बू-संतरा, भिन्डी व छोले जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
4. प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ – प्रोटीन में उपस्थित एमिनो एसिड कोशिकाओं की मरम्मत में सहायक होता है। इसलिए आपको प्रोटीनयुक्त भोजन जैसे – अंडा, कम चर्बीयुक्त मांस, दूध, पनीर, दही व विभिन्न दालों आदि का सेवन करना चाहिए।
गर्भपात के बाद क्या न खाएं-
1. जंक फ़ूड – गर्भपात के बाद महिलाओं को जंक फ़ूड के सेवन से दूर रहना चाहिए। इस समय आपके शरीर को पौष्टिक आहार की आवश्यकता है, इसलिए अपना ध्यान आपको पौष्टिक भोजन पर केन्द्रित करना चाहिए।
2. सोया – ऐसे तो सोया सेहत के लिए फायदेमंद आहार है लेकिन गर्भपात के बाद इसका सेवन हानिकारक होता है।
3. डिब्बाबंद भोजन – इस समय किसी भी प्रकार का डिब्बाबंद भोजन आपके लिए हानिकारक हो सकता है।
4. फ्रोजेन फ़ूड – जब तक आप गर्भपात की स्थिति से उबार नहीं जातीं तब तक आपको ठंडी चीजों के सेवन से बचना चाहिए।