Ultrasound Me Ladka Hone Ke Sanket: जब एक महिला गर्भवती होती है तो परिवार में एक नए सदस्य के आगमन की प्रतीक्षा होने लगती है। माता-पिता अपने होने वाले बच्चों के साथ जन्म से पहले ही भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिला कई प्रकार के बदलाव से गुजरती है और उसके मन में गर्भ में पल रहे शिशु को लेकर कई प्रकार के सवाल घूमते रहते हैं। सामान्य तौर पर जो पहला सवाल गर्भवती महिला या माता-पिता के मन में आता है कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की है? क्या अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी के माध्यम से लड़का या लड़की की पहचान की जा सकती है? आज हम इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी आपको देने वाले हैं।
गर्भावस्था में लड़के की पहचान क्यों महत्वपूर्ण है?
बहुत सारे परिवारों के लिए गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकती है। गर्भ में पल रहे शिशु के अनुसार ही माता के पोषण को डिसाइड किया जाता है। ऐसे में अगर गर्भ में लड़का पल रहा है तो गर्भवती महिला को अधिक पोषण की जरूरत होती है। इसके अलावा परिवार के सदस्यों के मन में जो कई प्रकार के सवाल घूम रहे होते हैं उनका जवाब देने के लिए भी गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
अल्ट्रासाउंड क्यों की जाती है?
अल्ट्रासाउंड एक नई टेक्नोलॉजी है जिसके माध्यम से शरीर के अंदर किसी भी प्रकार की होने वाली क्रियाओं का आप पता लगा सकते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान बच्चा गर्भाशय में कई प्रकार की एक्टिविटी करता है। उनकी एक्टिविटी को आप अल्ट्रासाउंड के माध्यम से आसानी से देख सकते हैं और बच्चे को परछाई के रूप में देख भी सकते हैं। अल्ट्रासाउंड के माध्यम से डॉक्टर बहुत ही आसानी से जेंडर प्रिडिक्शन भी कर सकते हैं। हालांकि गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग परीक्षण करना कानूनी रूप से सही नहीं है।
सामान्य तौर पर अल्ट्रासाउंड में आपको सीधे-सीधे यह पता नहीं लगता है कि गर्भ में पल रहा है शिशु लड़का है या लड़की है। कुछ लक्षणों के आधार पर ही डॉक्टर यह प्रेडिक्शन करते हैं कि गर्भ में पलने वाले संतान लड़का है या लड़की है। लेकिन डॉक्टर द्वारा इस प्रकार से गर्भ में पल रहे शिशु को लेकर किसी भी प्रकार का प्रेडिक्शन करना या पहचान उजागर करना गैरकानूनी है। ऐसे में कोई भी डॉक्टर ऐसा नहीं करता है।
लेकिन आप चाहे तो अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट देखकर या सोनोग्राफी की रिपोर्ट देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि गर्भ में पल रहा है शिशु लड़का है या लड़की है। इसके लिए आपको कुछ लक्षणों पर गौर करना होता है जिनके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं।
लड़के की पहचान के लिए अल्ट्रासाउंड कब करवाना चाहिए
सामान्य तौर पर एक गर्भावस्था के दौरान दो या तीन बार आप अल्ट्रासाउंड करवा सकते हैं। पहला अल्ट्रासाउंड 18 से 20 सप्ताह पर किया जाता है वहीं दूसरा अल्ट्रासाउंड लगभग 32 सप्ताह के आसपास किया जाता है। पहले अल्ट्रासाउंड में सामान्य तौर पर गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में ज्यादा संकेत हमें नहीं मिलते हैं लेकिन दूसरे अल्ट्रासाउंड में कुछ ऐसे लक्षण मिलते हैं जिनके आधार पर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि गर्भ में पल रहा है शिशु लड़का है या लड़की है।
Read Also
- Garbh Me Pal Raha Ladka Kis Side Hota Hai | गर्भ में पल रहा लड़का किस साइड होता है?
- Pregnancy me Bleeding Hone Ke Karan | प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में ब्लडिंग क्यों होता है
- Mahilaon mein Bacchedani ka Munh Samay Par Nahi Khulne Ka Karan | महिलाओं में बच्चेदानी का मुंह समय पर नहीं खुलने के कारण और घरेलु उपाय
अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के संकेत | Ultrasound Me Ladka Hone Ke Sanket
जब भी कोई डॉक्टर अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को देखता है तो कई प्रकार के पैरामीटर को जांच करता है जिससे उन्हें यह पता लग पाता है कि गर्भ में पल रहा बालक लड़का है या लड़की है। हालांकि डॉक्टर सिर्फ प्रेडिक्शन करते हैं उन्हें निश्चित रूप से कुछ भी पता नहीं होता है लेकिन कुछ ऐसे लक्षण है जिनके आधार पर लड़का होने का संकेत मिलता है।
भ्रूण के सिर का आकार
गर्भ में पल रहे शिशु के सर का आकार देखकर बहुत सारे डॉक्टर इस बात का अंदाजा लगा लेते हैं कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की है। लड़का और लड़की के सर के आकार में गर्भावस्था के दौरान कुछ अंतर देखने को मिलता है उसी के आधार पर पता लगता है कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की है।
लिंग के आकार में वृद्धि
अल्ट्रासाउंड के माध्यम से बच्चे के लिंग की पहचान कर पाना 100% सटीक तो नहीं होता है लेकिन लिंग के आकार को पहचान कर आप अंदाजा लगा सकते हैं। एक अल्ट्रासाउंड के अंदर बच्चों के लिंग को पहचाना जा सकता है। लड़कों के लिंग का आकार बड़ा होता है यह अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में देखा जा सकता है।
लीवर का आकार
अल्ट्रासाउंड के अंदर सामान्य तौर पर डॉक्टर बच्चों के लीवर के आकार को देखते हैं। इसके माध्यम से आसानी से पता लगाया जा सकता है कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या नहीं।
गुदा की जांच
अल्ट्रासाउंड के माध्यम से जब गुदा की जांच की जाती है तो इसके आकार और बनावट की पहचान के आधार पर ही गर्भ में पल रहे लड़के की पहचान की जाती है।
इंटेलिजेंस के संकेत
गर्भ में पल रहे बच्चे का दिमाग कितना विकास कर रहा है और वह मानसिक रूप से कैसा है उसके विभिन्न पैरामीटर की जांच करने के बाद भी लड़का होने का पता लगाया जा सकता है।
हृदय की गति की जांच
गर्भ में पल रहे शिशु की दिल की धड़कन अगर 135 से लेकर 155 बीट प्रति मिनट है तो सामान्य तौर पर यह लड़का माना जाता है। अगर 130 बीट प्रति मिनट से कम और 160 बीट प्रति मिनट से ज्यादा दिल की धड़कन है तो लड़की होने का संकेत माना जाता है।
डिस्क्लेमर
हमने आज आपको इस आर्टिकल में गर्भ में पल रहे शिशु और उसके अल्ट्रासाउंड से संबंधित कई प्रकार की जानकारी दी है। यहां पर हमने जो भी जानकारी दी है वह एजुकेशन के उद्देश्य से दी है। गर्भ में पल रहे शिशु का किसी भी प्रकार से लिंग परीक्षण करना या करवाना दोनों ही गैरकानूनी है। कोई भी माता-पिता या डॉक्टर और हॉस्पिटल ऐसा करते हुए पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है और कड़ी सजा का प्रावधान है।