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गर्भावस्था का आँठवा महीना, अर्थात यह वह समय है जब आपके साथ आपका पूरा परिवार व रिश्तेदार आने वाले बच्चे के लिए काफी उत्साहित हो जाते हैं। अगर आप गर्भावस्था के आंठ्वे महीने में हैं तो लगभग आपने अपने प्रेगनेंसी का सफ़र पूरा कर लिया है और इसी समय अर्थात आंठ्वे महीने से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें हम आपको इस लेख में बताने जा रहें है। जिसमें गर्भावस्था के आंठ्वे महीने के लक्षण, खान-पान, कराये जाने वाले टेस्ट व सावधानियाँ शामिल हैं।
गर्भावस्था के आठवें महीने के लक्षण
1. आपको इस महीने के दौरान मल त्याग करने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है। कभी- कभार ज्यादा दबाव के कारण आपके मल में थोड़ा खून भी आ सकता है। इसी के साथ आपको कब्ज की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है।
2. पिछले कुछ महीनों की तरह यह महीना भी आपको पीठ दर्द से और अधिक परेशान करेगा।
3. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही शुरू होते ही स्तनों से गाढ़ा और पीले रंग का स्राव निकलने लगता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं।
4. अब आपका पेट और वजन दोनों ही काफी बढ़ चुका है इसलिए आपको सांस फूलने की समस्या हो सकती है।
5. आठवें महीने में संकुचन ज्यादा होने की संभावना रहती है। हालाँकि ये आमतौर पर कुछ क्षणों के लिए ही होते हैं।
आँठवे महीने के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव
1. इस दौरान आपको सीने में जलन होती है जोकि रात्री में सोते वक़्त हो सकती है।
2. कुछ महिलाओं के शरीर की नसें उभरी हुईं दिखने लगती हैं जिसे वेरीकोज वेन कहा जाता है।
3. रात्रि में बार- बार पेशाब लगने की समस्या हो जाती है।
4. गर्भाशय बढ़ने के कारण पेट के निचले हिस्से में स्ट्रेच मार्क्स के निशान नज़र आ सकते हैं। जिसपर आप डॉक्टर के परामर्शानुसार क्रीम लगा सकती हैं।
5. हर मौसम में आँठवे महीने के दौरान आपको गर्मी महसूस होगी।
गर्भावस्था के आँठवे महीने में कराये जाने वाले टेस्ट व स्कैन
अब आपका बेबी लगभग पूरी तरह से विकसित हो चुका है और अभी भी आपको नियमित रूप से डॉक्टर के परामर्श व जाँच की आवश्यकता है। आगे हम आपको इस महीने कराये जाने वाले टेस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं –
1. ग्रोथ स्कैन – इसमें शिशु की गतिविधियों और विकास पर नज़र डाली जाती है। अल्ट्रासाउंड द्वारा शिशु की गतिविधियों, गर्भ में शिशु की स्थिति एवं एम्नियोटिक तरल की मात्रा व गर्भनाल की स्थिति की जांच की जाती है।
2. हर बार की तरह इस बार भी आपके ब्लड प्रेसर एवं वजन की जांच की जाती है।
3. नॉन- स्ट्रेस टेस्ट – इस टेस्ट में शिशु के दिल की धड़कन एवं होने वाले हलचल की जाँच की जाती है।
इस महीने आपको अपने खान- पान का भी विशेष ध्यान रखना होगा इसलिए आपको इस महीने लेने वाले उत्तम आहार के बारे में जान लेना आवश्यक है, जिसके बारे में हम आपको आगे बताने जा रहे हैं –
क्या खाए –
1. इस दौरान आपको मछली खाने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि इसमें प्रचुर मात्र में आयरन मिलता है जो आपके सेहत के लिए आवश्यक है। इसी के साथ आपको प्रोटीन की भी कमी नही होगी।
2. लाल मांस खाना भी आपके लिए फायदेमंद साबित होगा क्योंकि इसमें आयरन और प्रोटीन पाए जाते हैं जो आपके बच्चे के विकास में भी काम आयेंगे।
3. इस दौरान आपको दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे – दही, पनीर इत्यादि का सेवन करना चाहिए जिससे आपको उच्च मात्रा में कैल्शियम प्राप्त होगा।
4. इस दौरान आपकों हरी पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए जिससे आपको फाइबर मिलेगा जो की कब्ज से छुटकारा दिलाने में आवश्यक है।
क्या ना खाएं
1. चाय व काफी से आपको दूरी बनानी चाहिए क्योंकि इसमें कैफीन पायी जाती है जोकि आपकी कब्ज की समस्या बढ़ा देगी।
2. शराब व तम्बाकू का सेवन गर्भावस्था के दौरान बिलकुल नहीं करना चाहिए, अगर आप इन पदार्थों का इस्तेमाल अभी करती हैं तो ये आपके प्रसव को जटिल बना देगा और आपके बच्चे पर भी बुरा असर डालेगा।
3. इस दौरान आपको तैलीय खाना खाने से बचना चाहिए क्योंकि ये आपको ज्यादा पोषण नहीं देगा और ऐसा भोजन बहुत मुश्किल से पचता है।
4. सॉफ्ट चीज व ब्लू चीज़ के सेवन से भी बचना बचना चाहिए, इनमें अक्सर लिस्टेरिया होता है, जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
आइये अब आपको इस महीने के दौरान बरतने वाली कुछ अन्य सावधानियों के बारे में बताते हैं –
क्या करें
1. नियमित रूप से कुछ दूर पैदल चलें और हल्का- फुल्का व्यायाम करना ना छोड़ें।
2. प्रसव के बाद की कुछ जानकारियाँ जैसे – बच्चे को दूध कैसे पिलाना है, कपड़े कैसे पहनाने हैं आदि का ज्ञान प्राप्त करना शुरू करें।
3. अकस्मात प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल जाने की व्यवस्था पहले से करलें।
4. साँसों से सम्बंधित व्यायाम करें जिससे आपकी सांस फूलने किन समस्या का निवारण हो सके।
5. हमेशा हाईड्रेटेड रहें अर्थात खूब पानी पियें जिस से आपकी कब्ज की समस्या कम हो सके।
क्या ना करें
1. तीव्र इक्षा होने पर भी मसालेदार व तैलीय खाने से परहेज करें।
2. इस दौरान आप तनाव से बचें और मनोरंजन कर अपना मन बहलायें।
3. अपने डॉक्टर से नियमित रूप से परामर्श लेने में लापरवाही ना करें।
4. नियमित रूप से विटामिन्स व अन्य अनपूरक लेना ना भूलें।
इस प्रकार अब आप आठवें महीने से जुड़ी इन महत्पूर्ण बातों को समझ गयीं होंगी। आशा करता हूँ यह लेख आपके लिए फायदेमंद साबित हो।
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